बांग्लादेश में हाल ही में इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। उन्हें 25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बीच आक्रोश फैल गया है। चिन्मय कृष्ण दास, जो बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हैं, पर आरोप है कि उन्होंने एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया था।
इस गिरफ्तारी के बाद, उनके वकील रमन रॉय पर हमला किए जाने का मामला सामने आया है। राधारमण दास, जो इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता हैं, ने सोमवार को दावा किया कि रमन रॉय पर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया गया। राधारमण दास के अनुसार, रॉय की “एकमात्र गलती” यह थी कि वह चिन्मय कृष्ण दास का कानूनी बचाव कर रहे थे। हमले में वकील रॉय गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और वह फिलहाल ICU में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। राधारमण दास ने सोशल मीडिया पर रॉय की तस्वीर शेयर करते हुए उनकी स्थिति के बारे में जानकारी दी और लोगों से उनके लिए प्रार्थना करने की अपील की।
वकील रॉय पर हमले को लेकर राधारमण दास ने कहा, “यह हमला बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने वालों के लिए बढ़ते खतरों को उजागर करता है।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस हमले का मुख्य कारण चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ना था।
चिन्मय कृष्ण दास को 3 दिसंबर को जमानत सुनवाई के लिए अदालत में पेश किया जाएगा। उनकी गिरफ्तारी और वकील पर हमले की घटनाओं ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के बीच विरोध प्रदर्शन और आंदोलन को और तेज कर दिया है।
इस विवाद के बाद बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदू समुदाय देश की कुल जनसंख्या का लगभग 22 प्रतिशत था, लेकिन अब यह घटकर लगभग 8 प्रतिशत रह गया है।
भारत ने भी बांग्लादेश में घट रही घटनाओं की निंदा की है और बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि वह धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करे और हिंसा के मामलों में तत्काल कार्रवाई करे।
कुल मिलाकर, चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और वकील रमन रॉय पर हमले ने बांग्लादेश की राजनीतिक और धार्मिक स्थिति को और जटिल बना दिया है, और अब देखना होगा कि 3 दिसंबर को उनकी जमानत पर क्या निर्णय आता है।