बांग्लादेश हाईकोर्ट ने रविवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 2004 में शेख हसीना की रैली पर हुए घातक ग्रेनेड हमले के सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। इनमें बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान का भी नाम शामिल है। तारिक रहमान पर आरोप था कि उन्होंने इस हमले की साजिश रची थी, जो शेख हसीना के खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा था। इस फैसले से ना सिर्फ तारिक रहमान को न्याय मिला, बल्कि वह 15 साल से ज्यादा समय बाद बांग्लादेश लौटने में सक्षम होंगे।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट का यह फैसला इस बात पर आधारित था कि ट्रायल कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया का सही पालन नहीं किया था। कोर्ट ने कहा कि 49 आरोपियों के खिलाफ दोषी ठहराए जाने का आदेश अवैध था। तारिक रहमान और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों को खारिज करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए गए थे। यह फैसला तारिक रहमान के लिए एक बड़ी राहत है, जिन्होंने पिछले कई वर्षों से लंदन में निर्वासन जीवन बिताया था।
तारिक रहमान की संभावित वापसी और राजनीतिक भविष्य:
अब इस फैसले के बाद तारिक रहमान के बांग्लादेश लौटने का रास्ता साफ हो गया है, और यह माना जा रहा है कि वह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का नेतृत्व संभाल सकते हैं। बीएनपी के भीतर उनकी वापसी को लेकर व्यापक चर्चाएं चल रही हैं, और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तारिक रहमान आगामी चुनावों में पार्टी की प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं, यहां तक कि उन्हें बांग्लादेश का अगला प्रधानमंत्री भी माना जा रहा है।
ग्रेनेड हमले का दर्दनाक इतिहास:
2004 में हुए इस हमले में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की रैली को निशाना बनाया गया था, जब वह विपक्षी नेता थीं। हमले के दौरान हसीना का भाषण समाप्त हो चुका था और उसी वक्त ग्रेनेड विस्फोट हुआ। इस हमले में दो दर्जन से अधिक लोग मारे गए थे। उस समय खालिदा जिया प्रधानमंत्री थीं, और उनके बेटे तारिक रहमान पर इस हमले की साजिश रचने का आरोप था।
225 गवाहों ने नहीं देखे हमलावर:
मुख्य बचाव पक्ष के वकील एसएम शाहजहां ने फैसले के बाद कहा कि इस मामले में पेश किए गए 225 गवाहों में से किसी ने भी तारिक रहमान या अन्य आरोपियों को ग्रेनेड फेंकते हुए या साजिश में शामिल होते हुए नहीं देखा। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में पेश किए गए गवाहों का बयान संदिग्ध था और आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं थे।
बीएनपी का खंडन:
बीएनपी ने हमेशा इस हमले में अपने नेताओं के शामिल होने से इनकार किया है। पार्टी का कहना था कि यह हमला शेख हसीना की सरकार द्वारा उनके विरोधियों को निशाना बनाने की साजिश थी। इसके अलावा, एक अन्य वकील शिशिर मोनिर ने यह भी आरोप लगाया कि हसीना सरकार ने जांच को इस तरह से मोड़ा कि तारिक और अन्य बीएनपी नेताओं को इस मामले में दोषी ठहरा दिया गया।
पीड़ितों का दर्द:
हालांकि हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन हमले के प्रमुख गवाह रफीकुल इस्लाम ने कहा कि पीड़ित अभी भी न्याय के हकदार हैं। रफीकुल इस्लाम ने एएफपी से बात करते हुए कहा, “मैंने देखा, सड़क पर शरीर के अंग बिखरे पड़े थे। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, लेकिन पीड़ितों के परिवारों को अब भी न्याय मिलना चाहिए।”
फैसला और आगे की राह:
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, क्योंकि यह न केवल तारिक रहमान की वापसी को लेकर कयासों को तेज करता है, बल्कि इस फैसले के बाद बीएनपी और अवामी लीग के बीच राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं। अब बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा पर नजरें केंद्रित हैं, क्योंकि यह मामला ना सिर्फ एक आतंकवादी हमले की सजा से जुड़ा है, बल्कि यह देश की राजनीति में भी अहम मोड़ ला सकता है।