ओवैसी का बड़ा बयान: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे पर उठाए सवाल, पार्टी के प्रदर्शन पर भी की आत्ममूल्यांकन की बात!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने उम्मीद से ज्यादा खराब प्रदर्शन किया था। पार्टी ने राज्य की कई सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। हालांकि, इस पर ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा कि उन्होंने जितनी भी सीटों पर चुनाव लड़ा, वहां उनका वोट शेयर काफी अच्छा था। ओवैसी ने माना कि पार्टी सीटें तो नहीं जीत पाई, लेकिन उन्होंने भविष्य में अपनी कमियों पर काम करने का संकल्प लिया और पार्टी कार्यकर्ताओं से इस विषय पर चर्चा करने की बात की।

ओवैसी ने कहा कि हर चुनाव से कुछ नया सीखने को मिलता है, और वह अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने मराठा आरक्षण को लेकर भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि उनकी पार्टी मराठा समाज के आरक्षण के लिए अपनी आवाज उठाती रहेगी, क्योंकि यह पार्टी की एक अहम प्राथमिकता है।

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा – ओवैसी ने उठाए गंभीर सवाल:

वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने राजस्थान के अजमेर की प्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के संबंध में एक और विवादास्पद मुद्दे पर अपनी बात रखी। दरगाह के बारे में हिंदू संगठनों द्वारा किए गए एक दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि अजमेर दरगाह भारत की धर्मनिरपेक्षता की पहचान है और यह देश के धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है। ओवैसी ने कहा कि न सिर्फ अजमेर दरगाह, बल्कि सलीम चिश्ती दरगाह भी अब जांच के दायरे में है और पूजा स्थल अधिनियम का पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।

ओवैसी ने आगे कहा कि अजमेर दरगाह पिछले 800 सालों से इस स्थान पर है, और अब अचानक इस पर विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस द्वारा धार्मिक स्थलों के प्रति नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है, और यह सब उनकी सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है। ओवैसी ने नेहरू से लेकर अन्य प्रधानमंत्री तक के बारे में भी बात की, जिन्होंने दरगाह पर चादर चढ़ाई थी, और यह बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर साल दरगाह पर चादर भेजते हैं। उनका कहना था कि बीजेपी और आरएसएस का यह कदम देश में कानून के शासन को कमजोर कर रहा है और यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का विवाद:

इस पूरे विवाद का केंद्र अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा है, जिसे हिंदू संगठनों ने उठाया है। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इस मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी, और इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की सुनवाई आगामी 20 दिसंबर को अजमेर सिविल कोर्ट में होगी, जहां यह सवाल उठेगा कि क्या दरगाह के स्थल पर पहले शिव मंदिर हुआ करता था।

यह मामला अब राजनीतिक और धार्मिक बखेड़े का रूप ले चुका है, जिसमें असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला है। उनकी पार्टी के खराब चुनावी प्रदर्शन के बावजूद, ओवैसी ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है और साथ ही मराठा आरक्षण के सवाल पर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। यह पूरा विवाद अब भारत की धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक स्थलों से जुड़ी संवेदनशील राजनीति की ओर इशारा करता है, जो आगामी दिनों में और अधिक गरमाने की संभावना है।

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