हरियाणा और पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर पिछले 9 महीनों से डटे किसान अब दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। 6 दिसंबर को ये किसान दिल्ली की ओर पैदल मार्च करेंगे, लेकिन इस बार वे ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर नहीं जाएंगे, जैसा कि पहले की योजनाओं में था। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने ऐलान किया है कि वे अलग-अलग जत्थों में पैदल यात्रा करेंगे और दिल्ली पहुंचकर आंदोलन को फिर से तेज करेंगे।
किसान संगठनों का कहना है कि सरकार उनसे कोई बात नहीं कर रही है, और उनके द्वारा की जा रही मांगों की अनदेखी की जा रही है। इन मांगों में फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग प्रमुख है। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के प्रतिनिधियों का कहना है कि उन्होंने पिछले 9 महीनों से सरकार से बातचीत की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। अब किसान नेतृत्व का कहना है कि उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा है, और यही कारण है कि वे अब दिल्ली जाने का निर्णय ले रहे हैं।
किसान आंदोलन 2.0: क्या है सरकार की प्रतिक्रिया?
किसानों के मुताबिक, वे शांति से सरकार से बातचीत करने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला। पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए किसान पिछले कुछ महीनों से सरकार से उम्मीद लगाए हुए थे कि उनकी मांगें सुनी जाएंगी। भारतीय किसान यूनियन के तेजवीर सिंह ने भी बताया कि वे 280 दिनों से दो सीमाओं पर बैठे हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसी भी तरह की बातचीत नहीं की है।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच 18 फरवरी को एक बातचीत हुई थी, जिसमें सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास की फसलें पांच सालों के लिए खरीदेंगी। हालांकि, किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, क्योंकि वे चाहते थे कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए, ताकि उनकी फसलों की न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित हो सके।
क्या होगा दिल्ली कूच के बाद?
अब किसानों का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो उनका आंदोलन और भी तेज हो सकता है। सरवन सिंह पंढेर के मुताबिक, किसानों का पहला चरण अंबाला के जग्गी गांव से शुरू होगा, और फिर वे दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। किसानों का कहना है कि वे शांति से मार्च करेंगे, और उम्मीद है कि हरियाणा सरकार भी उनकी यात्रा में मदद करेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस किसान आंदोलन को कैसे संभालती है और क्या किसानों की मुख्य मांग, एमएसपी की कानूनी गारंटी, पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं। 6 दिसंबर को होने वाला दिल्ली कूच आंदोलन के अगले बड़े मोड़ को चिह्नित कर सकता है।