देशभर में विभिन्न धार्मिक स्थलों पर विवाद और दावे बढ़ते जा रहे हैं, जिनमें अजमेर शरीफ दरगाह, भोजशाला, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि-मस्जिद, ज्ञानवापी और संभल जामा मस्जिद जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं। इन विवादों में सिविल कोर्ट में दाखिल किए गए मुकदमों और उनके सर्वे की प्रक्रिया को लेकर माहौल बिगड़ता जा रहा है। इस संकट से निपटने के लिए, सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है, जिसमें इन मामलों की कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।
याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 दिसंबर, 2023 के आदेश के बाद से देशभर के धार्मिक स्थलों के सच को जानने के लिए दाखिल किए गए मुकदमों से देश में तनाव और शांति का माहौल बिगड़ रहा है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि इन मामलों में तत्काल हस्तक्षेप कर सिविल कोर्ट की कार्यवाही और सर्वे पर रोक लगाई जाए, ताकि स्थिति और अधिक विकट न हो।
सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग
इस याचिका में विशेष तौर पर यह कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्ञानवापी मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ की गई अपीलों पर निर्णय लेना चाहिए, ताकि इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता आ सके। इसके साथ ही, 1991 में बनाए गए पूजा स्थल कानून के तहत विभिन्न याचिकाओं पर भी जल्द निर्णय लिया जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि तब तक के लिए, जब तक इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में निर्णय नहीं आ जाता, तब तक सिविल कोर्ट द्वारा जारी किए जा रहे सर्वे और अदालती कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाई जाए।
शांति और सद्भाव की अपील
याचिका में यह भी अपील की गई है कि सुप्रीम कोर्ट देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश दे कि वे इन विवादित मामलों में जल्बाजी करने से बचें और शांति बनाए रखने के लिए सिविल कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामले भेजें। याचिका में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्यों के मुख्य सचिवों को शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए निर्देश जारी किए जाएं, ताकि देश में और अधिक तनाव न फैले।
पूजा स्थल कानून का पालन करने का आदेश
याचिका में यह भी मांग की गई है कि 1991 का पूजा स्थल कानून सभी को मानने का आदेश दिया जाए, ताकि इस दौरान सर्वोच्च अदालत में लंबित मामलों का निपटारा हो सके। यह कानून धार्मिक स्थलों पर पूजा करने की स्वतंत्रता की सुरक्षा करता है और इसे लागू करना हर नागरिक की जिम्मेदारी बनता है। याचिकाकर्ता, पेशे से वकील नरेंद्र मिश्रा, ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की है और याचिका में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों को पक्षकार बनाया गया है।
धार्मिक स्थलों पर विवाद – अजमेर से मथुरा तक
कई धार्मिक स्थलों पर विवादों ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। इनमें अजमेर शरीफ दरगाह का मामला भी शामिल है, जिसमें शिव मंदिर के होने का दावा किया गया है। इसके अलावा, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और मस्जिद के बीच विवाद बढ़ रहा है, जबकि वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद मामला पहले ही पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इन विवादों के कारण इन स्थलों पर धार्मिक तनाव बढ़ गया है और समाज में नफरत और हिंसा फैलने का डर है।
अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया था, जिसे लेकर अब अजमेर कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने का निर्णय लिया है। यह मामला अब और गंभीर हो गया है, और कई अन्य मस्जिदों में भी मंदिरों के होने का दावा किया जा रहा है।
क्या इन विवादों का समाधान निकलेगा?
अब यह सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इन मामलों में हस्तक्षेप करेगा और इन विवादों को समाप्त करने के लिए एक स्पष्ट दिशा निर्देश देगा? क्या धार्मिक स्थलों पर होने वाले विवादों को लेकर कोई स्थाई समाधान निकलेगा, जिससे समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके? या फिर यह विवाद देशभर में और बढ़ेंगे, जिससे न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है?
यह याचिका अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है और सभी की निगाहें इस पर आने वाले निर्णय पर टिकी हैं। क्या अदालत इस मामले में जल्द फैसला करेगी, या फिर यह मामला लंबित रहेगा? यह देखना अब बेहद दिलचस्प होगा।