संभल जिले में एक ऐसा तूफान उठा है, जिसकी गूंज न सिर्फ इस छोटे से शहर, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और देशभर में महसूस की जा रही है। शाही जामा मस्जिद, जो वर्षों से एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक रही है, अब एक ऐसे विवाद का केंद्र बन चुकी है, जो हर किसी के मन में सवाल खड़ा कर रहा है।
क्या यह विवाद सिर्फ एक पुराने धार्मिक स्थल का है, या इसके पीछे कुछ और ही गहरी साजिश है? मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश, और अब तक की घटनाओं के बाद यह सवाल और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। क्या संभल में शांति की उम्मीद करना अब सिर्फ एक ख्वाब है?
संभल में पिछले कुछ दिनों से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। बीते हफ्ते, जब शाही जामा मस्जिद का सर्वे हो रहा था, अचानक हिंसा भड़क उठी। पूरा शहर एक युद्धभूमि में तब्दील हो गया। चार लोगों की जान चली गई, सैकड़ों लोग घायल हुए, और कई पुलिसकर्मी भी इस संघर्ष में शामिल हुए। हिंसा ने संभल को एक पुलिस छावनी में बदल दिया है। क्या यह सिर्फ एक आकस्मिक घटना थी, या इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं?
अब तक करीब 28 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लेकिन बहुत से आरोपी अब भी फरार हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि संभल में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है और पूरे शहर को हाई अलर्ट पर रखा गया है। शुक्रवार, 30 नवंबर को भी संभल में स्थिति बेहद संवेदनशील रही, क्योंकि यह जुमे की नमाज का दिन था और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हो रही थी। क्या इस सुनवाई के बाद संभल में शांति का माहौल बनेगा, या यह मामला और भी जटिल हो जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ बेहद अहम फैसले दिए हैं। कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को स्वागतयोग्य बताया और इसे देशहित में एक सकारात्मक कदम बताया। लेकिन इस फैसले के बाद संभल की स्थिति और भी ज्यादा उथल-पुथल का शिकार हो गई है।
कोर्ट ने निचली अदालत की सुनवाई पर रोक लगाई है और जब तक हाई कोर्ट इस मामले पर कोई आदेश नहीं देता, तब तक निचली अदालत की कार्यवाही स्थगित रहेगी। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि अब इस मामले को लेकर कोई भी बड़ा कदम तब तक नहीं उठाया जा सकता जब तक हाई कोर्ट से कोई नया आदेश नहीं आता। इस मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी, लेकिन क्या उस दिन यह मामला और ज्यादा बढ़ जाएगा?
संभल कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पर विवाद
संभल कोर्ट में शाही जामा मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट पेश की जानी थी, लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने हिंसा के बाद रिपोर्ट तैयार नहीं होने का हवाला देते हुए इसे स्थगित करने की मांग की। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। यह निर्णय काफी अहम है, क्योंकि इस रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच दावा किया जा रहा है कि मस्जिद वास्तव में एक मंदिर पर बनाई गई थी।
19 नवंबर को चंदौसी कोर्ट ने शाही जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर मामले में सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट कमिश्नर की अगुआई में वकीलों की टीम ने मस्जिद का सर्वे किया था, और रिपोर्ट में गणेश जी की प्रतिमा का जिक्र किया गया था। हिंदू पक्ष ने इसे आधार बनाकर मस्जिद पर मंदिर होने का दावा किया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया और इसे असत्य बताया।
1875 की रिपोर्ट और विवाद
इससे पहले, 1875 की एक पुरानी सर्वे रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को तोड़कर किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मस्जिद के चारों ओर भगवान की आकृतियां पाई गई थीं और विशेष रूप से गणेश जी की एक प्रतिमा का उल्लेख किया गया था। हिंदू पक्ष इस रिपोर्ट को लेकर मस्जिद को मंदिर साबित करने के लिए जोर दे रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह सब सिर्फ आरोप हैं और रिपोर्ट में कोई सच्चाई नहीं है।
क्या सच में मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था? या फिर यह सिर्फ एक सांप्रदायिक विवाद का हिस्सा है? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए कोर्ट में अब 8 जनवरी को अहम सुनवाई होगी। यह सुनवाई यह तय करेगी कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और क्या मस्जिद का सर्वे फिर से किया जाएगा या नहीं।
संभल में हिंसा और उसके परिणाम
24 नवंबर को जब जामा मस्जिद का सर्वे हो रहा था, अचानक हिंसा भड़क उठी। यह हिंसा इतनी गंभीर थी कि पूरे शहर में अफरातफरी मच गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को स्थिति काबू में करने के लिए भारी संख्या में बल तैनात करना पड़ा। इस हिंसा के बाद से अब तक 28 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, और कई अन्य अब भी फरार हैं। क्या हिंसा को बढ़ावा देने में कहीं ना कहीं इस विवाद का ही हाथ है?
अब इस हिंसा और विवाद के बाद प्रशासन ने संभल को एक पुलिस छावनी में बदल दिया है। शाही जामा मस्जिद का सर्वे फिर से शुरू होने से पहले, संभल में शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन को कई कदम उठाने होंगे। क्या 8 जनवरी तक संभल में शांति का माहौल बन पाएगा, या फिर यह विवाद और भी उग्र हो जाएगा?
अब सवाल यह है कि क्या 8 जनवरी को होने वाली सुनवाई के बाद मामला खत्म हो जाएगा, या यह और भी जटिल हो जाएगा? क्या इस विवाद का कोई हल निकलेगा, या यह देशभर में सांप्रदायिक तनाव का कारण बनेगा? यह कहानी सिर्फ एक मस्जिद और मंदिर के विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने पूरे प्रदेश और देश में शांति और भाईचारे की परीक्षा भी ले ली है। 8 जनवरी तक संभल और इसके आस-पास के इलाकों में स्थिति पर कड़ी नजर रखी जाएगी, और हम यह देखेंगे कि यह मामला आखिरकार कहां जाता है।