प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (30 नवंबर) से लेकर 1 दिसंबर तक भुवनेश्वर में आयोजित पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए ओडिशा पहुंचे हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य देशभर के पुलिस प्रमुखों के साथ मिलकर आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न अहम मुद्दों पर गहन चर्चा करना है। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुख, केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी हिस्सा लेंगे।
इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान, सुरक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए पुलिसिंग और सार्वजनिक सुरक्षा में सुधार से जुड़ी कई पहलुओं पर चर्चा होगी। विशेष रूप से, आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद, तटीय सुरक्षा, नए आपराधिक कानून, नारकोटिक्स और राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्य महत्वपूर्ण घटकों पर व्यापक विचार-विमर्श होगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य देश के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करना है, ताकि भारत में आंतरिक सुरक्षा को लेकर कोई भी चूक न हो।
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित होंगे अधिकारी
सम्मेलन के अंतिम दिन, यानी 1 दिसंबर को राष्ट्रपति पुलिस पदक से विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। यह पदक उन्हें उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन के आयोजन के महत्व को बताया और इसे देशभर में पुलिस तंत्र को मजबूती प्रदान करने का एक बड़ा अवसर माना।
प्रधानमंत्री मोदी का जोर: आंतरिक सुरक्षा में सुधार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे से पहले एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सिलसिलेवार पोस्ट करते हुए कहा कि इस सम्मेलन में भारत के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भाग लेने का अवसर मिलेगा, और इसमें विशेष रूप से आंतरिक सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण विचार-विमर्श होगा। पीएम मोदी ने बताया कि इस सम्मेलन के दौरान पुलिसिंग और आंतरिक सुरक्षा में सुधार के लिए कई पहलुओं पर चर्चा होगी, ताकि भारत में सुरक्षा स्थिति बेहतर हो सके।
पिछले वर्षों में डीजीपी सम्मेलन: एक ऐतिहासिक यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से शुरू हुए इस सम्मेलन को नियमित रूप से आयोजित करने का निर्णय लिया था। अब तक यह सम्मेलन कई प्रमुख शहरों में आयोजित किया जा चुका है, जैसे गुवाहाटी (असम), कच्छ (गुजरात), हैदराबाद (तेलंगाना), टेकनपुर (ग्वालियर, मध्य प्रदेश), स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवड़िया, गुजरात), पुणे (महाराष्ट्र), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), नई दिल्ली और जयपुर (राजस्थान)। इन सभी जगहों पर पुलिस प्रमुखों के सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, और इस बार भुवनेश्वर में आयोजित इस सम्मेलन में भी यही उद्देश्य है।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां और डीजीपी सम्मेलन
इस सम्मेलन में केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रमुख भी मौजूद होंगे। इनमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और अन्य केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख शामिल होंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेंगे।
क्या इस सम्मेलन से सुरक्षा तंत्र में आएगा बड़ा बदलाव?
सम्मेलन में आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। विशेष रूप से, तटीय सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया जाएगा, क्योंकि भारत के तटीय इलाकों में सुरक्षा एक बड़ा चुनौती बन सकती है। न सिर्फ आंतरिक सुरक्षा, बल्कि देशों के बीच बढ़ते आपराधिक मामलों, नारकोटिक्स के तस्करी नेटवर्क और अन्य आपराधिक कानूनों पर भी विचार-विमर्श होगा। क्या इस सम्मेलन के बाद देश में सुरक्षा से संबंधित मौजूदा मुद्दों पर कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, और क्या आने वाले दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा?
इस दौरान, ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के डीजीपी पहले ही पहुंच चुके हैं। यहां पर सुरक्षा और समन्वय के बेहतर उपायों पर चर्चा की जाएगी, ताकि देश के आंतरिक सुरक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।
अब देखना यह है कि इस सम्मेलन के बाद किस दिशा में देश की आंतरिक सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जाता है, और क्या यह पहल वास्तव में आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई को प्रभावी बना पाएगी?