भारत और सीरिया के बीच शुक्रवार को दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसने दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का रास्ता खोला है। जबकि पश्चिमी देश सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को गिराने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, भारत ने इस मौके पर अपनी दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ाकर यह स्पष्ट कर दिया कि उसकी कूटनीति केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रिश्तों को गहरे और मजबूत बनाने की दिशा में है।
इस बैठक में भारत और सीरिया के विदेश मंत्रालयों के उच्च अधिकारी शामिल हुए, जिनका नेतृत्व भारत की तरफ से पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका प्रभाग के संयुक्त सचिव डॉ. सुरेश कुमार और सीरिया की ओर से विदेश मामलों के उप मंत्री अयमान राद ने किया। इस संवाद के दौरान, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसमें दवाओं, विकास परियोजनाओं और सीरियाई युवाओं के कौशल विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल थे। इसके अलावा, क्षेत्रीय और वैश्विक परिस्थितियों पर भी गहरी चर्चा हुई, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग की नई संभावनाओं का रास्ता खुला है।
भारत की निष्पक्ष कूटनीति का संदेश
भारत-सीरिया के रिश्ते केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक साझेदारी पर आधारित हैं। जहां पश्चिमी देश सीरिया पर दबाव बनाने और असद सरकार को हटाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, वहीं भारत ने हमेशा सीरिया के साथ निष्पक्षता का रुख अपनाया है। भारत ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सीरिया में सक्रिय भागीदारी की है और सीरिया की युवा पीढ़ी को बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने में मदद की है। इस बैठक में भारत ने सीरिया को विश्वास दिलाया कि वह उसके विकास में एक विश्वसनीय और स्थिर साथी बने रहेगा।
सीरिया में अगली मुलाकात: रिश्तों में और गहराई
भारत और सीरिया के बीच इस बैठक के दौरान यह तय किया गया कि अगली बातचीत सीरिया में होगी, जो न केवल दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा देगी, बल्कि लंबे समय से पेंडिंग मुद्दों को हल करने का अवसर भी प्रदान करेगी। यह फैसला सीरिया में भारत की बढ़ती भूमिका को और प्रगाढ़ करेगा और दोनों देशों के बीच साझा समझ को मजबूत बनाएगा।
भारत की कूटनीतिक ताकत: संतुलित और सशक्त रिश्ते
भारत की कूटनीति की खासियत उसकी संतुलित नीति है, जो उसे रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-ईरान जैसे जटिल मुद्दों में एक निष्पक्ष पक्ष बनाने में मदद करती है। अब सीरिया के साथ यह दोस्ताना पहल ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की साख केवल आर्थिक ताकत में नहीं, बल्कि अपने साझेदार देशों के साथ रिश्तों की गहराई में भी है।
भारत का स्पष्ट संदेश
जब दुनिया का एक बड़ा हिस्सा सीरिया को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है, भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अपने साझेदारों के साथ खड़ा रहेगा, चाहे परिस्थितियां जैसी भी हों। यह बैठक न केवल भारत-सीरिया के रिश्तों को मजबूत करेगी, बल्कि पश्चिमी एशिया में भारत की कूटनीतिक भूमिका को भी और मजबूती प्रदान करेगी।