चुनाव आयोग पर कांग्रेस का गंभीर आरोप: क्या महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणामों में हुई धांधली?

कांग्रेस ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है, जिसके बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को 3 दिसंबर को बुलाया है। कांग्रेस ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि वोटर लिस्ट में मनमाने तरीके से बदलाव किए गए हैं। इस आरोप के बाद चुनाव आयोग ने कांग्रेस को आश्वासन दिया है कि वह पार्टी के सभी सवालों का जवाब देगा, लेकिन चुनाव आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी नहीं हुई है।

चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही है और प्रत्येक चरण में उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई थी। आयोग ने इस बात का भी आश्वासन दिया है कि कांग्रेस पार्टी की वैध चिंताओं का उचित तरीके से समाधान किया जाएगा और एक लिखित जवाब भी दिया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि मतदान के आंकड़ों में कोई विसंगति नहीं थी, और सभी डेटा सत्यापन योग्य हैं।

क्या है कांग्रेस का आरोप?

कांग्रेस ने चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव से ठीक पहले वोटर लिस्ट से मनमाने तरीके से मतदाताओं के नाम काटे गए और नए नाम जोड़े गए, जो पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है। पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदान के आंकड़े समय से पहले जारी कर दिए थे, और मतदान प्रतिशत में असमानता दिखाई दी।

कांग्रेस ने यह भी कहा कि 21 नवंबर 2024 को शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22% था, जो रात 11:30 बजे तक बढ़कर 65.02% हो गया, और फिर अंतिम रिपोर्ट में यह आंकड़ा 66.05% दर्ज किया गया। पार्टी ने इसे एक असामान्य बढ़ोतरी करार दिया और सवाल उठाया कि मतदान के आंकड़ों में यह अचानक बदलाव कैसे हुआ।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि मतदान प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 5 बजे के मतदान आंकड़े और अंतिम मतदान प्रतिशत में अंतर सिर्फ प्रक्रियागत प्राथमिकताओं के कारण था, क्योंकि पीठासीन अधिकारी मतदान के आंकड़ों को अद्यतन करने से पहले कई कानूनी कर्तव्यों का पालन करते हैं। आयोग ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान पूरी जानकारी और डेटा उपलब्ध कराया गया था और सभी आंकड़े सत्यापन योग्य हैं।

कांग्रेस की आंदोलन की चेतावनी

कांग्रेस की कार्यसमिति ने इस मुद्दे पर साढ़े चार घंटे तक बैठक की थी, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। पार्टी ने आरोप लगाया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक आवश्यकता है, जिसे चुनाव आयोग की पक्षपाती कार्यप्रणाली से गंभीर खतरा हो गया है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग की पक्षपाती कार्यप्रणाली से समाज का एक बड़ा वर्ग निराश और आशंकित है, और इस कारण कांग्रेस इस मुद्दे को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत को मनमाने तरीके से बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया, जिससे चुनाव के निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों में बदलाव करने में कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई और वोटिंग प्रतिशत में हुए असामान्य बदलाव ने चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया।

कांग्रेस के सवालों के घेरे में चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के सभी आरोपों का जवाब देने का आश्वासन दिया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का कहना है कि चुनाव आयोग की कार्रवाई से लोकतंत्र की नींव को खतरा हो सकता है। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि चुनाव आयोग ने अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में असफल रहते हुए, चुनावी प्रक्रिया को गलत दिशा में मोड़ दिया है।

चुनाव आयोग ने हालांकि यह दावा किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी थी और चुनाव के प्रत्येक चरण में उम्मीदवारों और उनके एजेंटों को शामिल किया गया था। इसके बावजूद, कांग्रेस ने अपनी चिंताओं को उठाते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है और वे इस मुद्दे को लेकर जन आंदोलन करने का मन बना चुके हैं।

क्या कांग्रेस का आरोप सही है? क्या चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का समय आया है? यह सवाल अब देश भर में चर्चा का विषय बन चुका है, और इसका जवाब अगले कुछ दिनों में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए लिखित जवाब पर निर्भर करेगा।

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