फर्रुखाबाद: जिले की ‘दि किसान’ सरकारी चीनी मिल, जो किसानों के लिए आशा की किरण बनी थी, अब एक मजाक बनकर रह गई है। हर साल पुरानी और जर्जर मशीनों के साथ इसका शुभारंभ किया जाता है, लेकिन जैसे ही शुभारंभ होता है, चीनी मिल बंद हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। जिला अधिकारी के शुभारंभ के सात दिनों बाद मिल में मात्र 5-6 घंटे ही काम हुआ, जिसके बाद वह फिर से बंद हो गई।
गन्ना किसान बैलगाड़ी और ट्रैक्टरों में अपना गन्ना लेकर मिल के बाहर खड़े हैं, लेकिन मिल न चलने के कारण उनकी तौल नहीं हो पा रही है। कई किसानों ने तीन से चार दिनों से गन्ना लेकर मिल का रुख किया, लेकिन अब तक उनका गन्ना नहीं तौला गया है, जिससे उनकी मायूसी और निराशा बढ़ गई है।
कायमगंज क्षेत्र में स्थित इस चीनी मिल के बंद होने से गन्ना किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, और उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि मिल के संचालक हर साल उनका शोषण करते हैं, जब तक शुभारंभ के मौके पर मीडिया का ध्यान नहीं जाता, मिल चलाने का कोई प्रयास नहीं किया जाता।
गन्ना किसानों की तौल नहीं होने से इलाके में गहरा असंतोष फैल गया है। अब सवाल उठ रहा है कि जब सरकारी मिलें किसानों के फायदे के लिए बनाई जाती हैं, तो इस बार फिर से गन्ना किसानों के हितों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया?