हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार विवाद का कारण राज्य के हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (HRTC) की बस में हुई एक घटना है, जिसमें बस में यात्रा कर रहे एक यात्री ने राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव पर केंद्रित एक डिबेट सुनी थी। इस डिबेट को आपत्तिजनक मानते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अपर सचिव को शिकायत भेजी गई थी। इसके बाद HRTC प्रबंधन ने चालक और परिचालक से जवाब तलब किया, जिस पर अब राज्य सरकार चौतरफा आलोचना का सामना कर रही है। हालांकि, आलोचनाओं के बाद इस जांच को निरस्त कर दिया गया है।
क्या था पूरा मामला?
मामला 5 नवंबर का है, जब हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की बस शिमला से संजौली जा रही थी। बस में यात्रा कर रहे एक यात्री, सैमुअल प्रकाश ने बस में सुनाई दे रही एक ऑडियो क्लिप को आपत्तिजनक पाया। इस ऑडियो में आचार्य प्रमोद कृष्णम की आवाज में राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव पर चर्चा की जा रही थी। इसे लेकर सैमुअल ने मुख्यमंत्री के कार्यालय में शिकायत दर्ज करवाई और आरोप लगाया कि इस ऑडियो में विवादित बयान दिए जा रहे थे।
HRTC ने दी सफाई, जांच को निरस्त किया
इस शिकायत के बाद HRTC प्रबंधन ने जांच शुरू की और बस के चालक और परिचालक को नोटिस भेजा, उनसे इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया। हालांकि, जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और सार्वजनिक विवाद का रूप लेने लगा, HRTC ने एक नया आदेश जारी किया और जांच को निरस्त कर दिया। HRTC के प्रबंध निदेशक रोहन चंद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस पूरे घटनाक्रम पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि शिकायत पूरी तरह निराधार थी और जांच के बाद इसे बंद कर दिया गया।
रोहन चंद ने यह भी बताया कि जब कोई शिकायत आती है, तो उसका तथ्यों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है, लेकिन इस मामले में कुछ भी गलत नहीं था। उन्होंने कहा, “यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद थे, और इस शिकायत को अब समाप्त कर दिया गया है।”
बीजेपी ने सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
वहीं, इस मामले पर बीजेपी के विधायक सुधीर शर्मा ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि यह घटना हिमाचल प्रदेश के लिए शर्मनाक है और यह प्रदेश को हंसी का विषय बना देती है। उन्होंने कहा, “हर रोज़ राज्य से कोई न कोई अजीब मामला सामने आ रहा है, जिससे देशभर में हिमाचल चर्चा का विषय बनता है।”
सुधीर शर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से एक पत्र भेजा गया था, जिसमें कहा गया कि शिमला से संजौली जा रही बस में किसी यात्री ने डिबेट सुनी थी, जो सरकारी नियमों का उल्लंघन था। उन्होंने इस पर चुटकी लेते हुए कहा, “क्या अब सरकार बसों में मार्शल नियुक्त करेगी ताकि यात्री क्या सुन रहे हैं, यह भी सरकार तय कर सके?”
बस चालक को क्यों किया गया आरोपी?
बीजेपी विधायक ने आगे कहा कि बस चालक का काम बस चलाना है, वह क्या कर सकता है जब कोई यात्री डिबेट या ऑडियो सुन रहा हो। उन्होंने कहा कि यह मामला हास्यास्पद है, क्योंकि बस चालक के पास यात्री की पसंद और नापसंद को नियंत्रित करने की कोई ताकत नहीं होती। अगर सरकार को इतनी चिंता है तो वह बसों में मार्शल नियुक्त करें ताकि यात्री को क्या सुनना है, यह सरकार तय कर सके।
सुक्खू सरकार पर बढ़ा दबाव
सुक्खू सरकार को इस मामले में चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष ने सरकार के फैसले को न केवल हास्यास्पद बल्कि लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला भी बताया है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सुक्खू सरकार इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है, और क्या वह अपनी कार्रवाई पर पुनर्विचार करती है।
इस विवाद के कारण हिमाचल प्रदेश सरकार पर एक बार फिर से दबाव बढ़ गया है, और यह मामला आगामी चुनावों के संदर्भ में राजनीति का नया मोर्चा बन सकता है।