बांग्लादेश के चट्टोग्राम में शुक्रवार को एक उग्र भीड़ ने नारेबाजी करते हुए तीन प्रमुख हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की, जिससे इलाके में तनाव का माहौल बन गया। यह हमला उस समय हुआ जब बांग्लादेश में इस्कॉन के एक पूर्व सदस्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। हमला चट्टोग्राम के हरीश चंद्र मुनसेफ लेन स्थित शांतानेश्वरी मातृ मंदिर, शनि मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर पर हुआ, जब सैकड़ों लोगों के एक समूह ने मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके। इसके परिणामस्वरूप शनि मंदिर और अन्य मंदिरों के दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, पुलिस ने कहा कि मंदिरों को काफी कम नुकसान हुआ है, लेकिन यह घटना सुरक्षा और धार्मिक सहिष्णुता के सवाल को उठाती है।
चट्टोग्राम के कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रमुख अब्दुल करीम ने इस हमले की पुष्टि की और बताया कि हमलावरों ने मंदिरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की थी। इस हमले के बाद, बांग्लादेश में हिंसा और उग्र बयानबाजी के बीच भारत ने गहरी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बयान देते हुए कहा कि भारत ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि वह देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यकों, के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करे।
जयशंकर ने यह भी उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास के मामले को न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा। बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से अल्पसंख्यकों पर हमलों में वृद्धि देखी जा रही है, जो भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव का कारण बन गया है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से बार-बार इस मामले में ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है।
भारत का कहना है कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को गंभीरता से लिया जा रहा है और इस मुद्दे पर ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग बारीकी से नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत ने बांग्लादेश सरकार के समक्ष अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और खतरों का मुद्दा उठाया है, और बांग्लादेश से इस स्थिति का समाधान निकालने की उम्मीद जताई है।
बांग्लादेश में इस हमले के बाद से धार्मिक और सामाजिक तनाव की स्थिति और भी गहराती जा रही है, और भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का पूरी तरह से संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।