उत्तर प्रदेश के संभल जिले स्थित शाही मस्जिद के सर्वे पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, और इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को तय की है। कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में हलचल मच गई है। इस आदेश के बाद मुस्लिम समाज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन सरकार के रवैये पर निराशा और नाराजगी भी व्यक्त की है।
“मस्जिदों में मंदिर ढूंढने से कुछ नहीं होगा”
दिल्ली के खुरेजी इलाके में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुमे की नमाज के बाद इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। खुरेजी निवासी राजा शेख ने कहा, “देश में हर मस्जिद के अंदर मंदिर ढूंढना किसी भी विकास का प्रतीक नहीं है। सरकार ऐसी बातों से मुद्दों को भटका रही है। देश में भाईचारे को बढ़ाने के बजाय, सरकार को महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। पिछले दस सालों में केवल मस्जिद-मंदिर और हिंदू-मुसलमान के मुद्दों पर ही चर्चा होती रही है, जबकि समाज की असल समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।”
“मुसलमानों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों?”
इसी बीच, खुरेजी के ही रहने वाले अली बेग ने इस फैसले का समर्थन किया और कहा, “हम सदियों से इस देश में रहते आए हैं, फिर क्यों हमसे सौतेला व्यवहार किया जा रहा है? हर कोई मस्जिदों और दरगाहों पर नजर डालकर पिटीशन दाखिल करता है, लेकिन हमें हिंदुस्तान में भाईचारा बनाए रखना चाहिए। इस पर कोई ध्यान क्यों नहीं देता?”
“आस्था के बजाय सबूतों पर होना चाहिए फैसला”
मुस्लिम समाज के एक और सदस्य आलम खान ने बाबरी मस्जिद का उल्लेख करते हुए कहा, “बाबरी मस्जिद का मामला भी आस्था के बजाय सबूतों के आधार पर ही हल होना चाहिए था। अगर ऐसा किया गया होता, तो आज हम ऐसे दिन नहीं देख रहे होते। एक लोकतांत्रिक देश में यदि अधिकारी सरकार के दबाव में काम करने लगें, तो देश का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।”
“सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है”
दिल्ली के विष्णु शंकर ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने सही फैसला लिया है। किसी भी मस्जिद में मंदिर ढूंढने से कोई लाभ नहीं होगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने भी कहा था कि हर मस्जिद के अंदर शिवालय खोजना ठीक नहीं है। यह देश के भाईचारे को तोड़ने की कोशिश होगी।”
आखिरकार, क्या है इस फैसले का भविष्य?
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश, जिसमें शाही मस्जिद के सर्वे पर रोक लगाई गई है, हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच की बढ़ती खाई और विभिन्न धार्मिक स्थलों के विवादों को लेकर अब और अधिक सवाल उठा रहा है। मुस्लिम समाज के लोग जहां इस फैसले को लेकर राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं सरकार के रवैये और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने का सिलसिला भी जारी है। क्या यह मामला 8 जनवरी की सुनवाई के बाद एक स्थायी समाधान की ओर बढ़ेगा, या फिर नए विवादों का जन्म होगा? इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं।