आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से राहत न मिलने के बाद, वेलनेस न्यूरोथेरेपी ने बदल दी मनीषा और सुमन की जिंदगी

कभी दर्द और सूजन के कारण बेहाल होने वाली मनीषा और सुमन अब पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रही हैं। मनीषा, जिनके घुटनों में रैंप पर चलते हुए अचानक स्ट्रेन आ गया था, और सुमन, जिनके घुटने पूरी तरह से जाम हो गए थे, दोनों को लंबे समय तक इलाज के बावजूद राहत नहीं मिली। लेकिन जब उन्होंने वेलनेस न्यूरोथेरेपी का सहारा लिया, तो उनका दर्द और सूजन दोनों ही पूरी तरह से ठीक हो गया। मनीषा का कहना है कि उन्हें एलोपैथी के सारे नॉर्म्स अपनाने के बावजूद राहत नहीं मिली, लेकिन वेलनेस न्यूरोथेरेपी ने उनके लिए चमत्कार जैसा काम किया।

क्या है वेलनेस न्यूरोथेरेपी?

वेलनेस न्यूरोथेरेपी को “अर्धनारीश्वर चिकित्सा” भी कहा जाता है, और यह एक अत्यधिक प्रभावशाली और होलिस्टिक उपचार पद्धति है, जो शरीर और मन के बीच संतुलन बनाने के लिए काम करती है। इस चिकित्सा का सिद्धांत भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप से लिया गया है, जिसमें आधा शिव और आधा पार्वती का सामंजस्य होता है। इस पद्धति में शरीर और उसके केमिकल दोनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है – एसिड और अल्कलाइन, जिनका मिलाजुला प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है।

चिकित्सा का तरीका और इसके लाभ

वेलनेस न्यूरोथेरेपी के विशेषज्ञ आचार्य राम गोपाल दीक्षित बताते हैं कि इस चिकित्सा पद्धति में शरीर के प्रमुख नर्वस और ब्लड सप्लाई पॉइंट्स पर काम किया जाता है। बिना किसी मशीन के, एक प्रशिक्षित थेरेपिस्ट हाथों या पैरों से दबाव डालकर, कुछ समय के लिए मसाज या प्रेशर देते हैं, जो शरीर के अंगों को सक्रिय करता है और दर्द, सूजन को खत्म करता है। इस उपचार से न केवल शारीरिक समस्याएं ठीक होती हैं, बल्कि मानसिक तनाव, एंजायटी, डिप्रेशन जैसे विकारों में भी सुधार आता है।

कौन सी बीमारियों में मददगार है वेलनेस न्यूरोथेरेपी?

वेलनेस न्यूरोथेरेपी विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो पुराने दर्द, घुटने, कमर या कंधे के दर्द से परेशान हैं। इसके अलावा यह डाइजेशन समस्याएं जैसे गैस, एसिडिटी, अपच, और पेट की अन्य समस्याओं में भी राहत देता है। इसके प्रभाव से 90% से ज्यादा डाइजेस्टिव समस्याएं ठीक हो जाती हैं। मानसिक रोगों पर भी इसका अच्छा असर देखा गया है, और यह तनाव, डिप्रेशन और डिमेंशिया जैसी बीमारियों में भी सुधार करता है।

वेलनेस न्यूरोथेरेपी की सफलता विदेशों में भी

यह चिकित्सा पद्धति न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में प्रचलित हो रही है। भारत के 28 राज्यों के 248 जिलों में लोग अर्धनारीश्वर चिकित्सा का लाभ उठा रहे हैं। इसके अलावा, 18 देशों में भी यह पद्धति अपनाई जा रही है। हाल ही में आचार्य राम गोपाल दीक्षित ने अमेरिका में एक वर्कशॉप का आयोजन किया था, जहां इस पद्धति की सफलता को लेकर लोगों में काफी रुचि देखने को मिली।

इलाज की गति और असर

न्यूरोथेरेपी से दर्द में राहत मिलना बहुत ही जल्दी होता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी को बैक पेन है, तो 5 मिनट के भीतर ही दर्द में काफी कमी आ जाती है। हालांकि, बीमारी के रिवर्स होने में थोड़ा समय लग सकता है, जैसे कि घुटने के दर्द में 2 से 3 दिन में आराम मिलता है, लेकिन पूरी तरह से ठीक होने में 20 से 30 दिन का समय लग सकता है।

किस प्रकार से होता है इलाज?

वेलनेस न्यूरोथेरेपी में शरीर के विशिष्ट पॉइंट्स पर प्रेशर डालकर या मसाज करके शरीर के केमिकल संतुलन को सुधारा जाता है। इसके लिए विशेष समय और दबाव की आवश्यकता होती है, जिसे केवल प्रशिक्षित थेरेपिस्ट ही सही तरीके से कर सकते हैं। यह उपचार आयुर्वेदिक, मर्म चिकित्सा और एक्यूप्रेशर पद्धतियों से अलग है, क्योंकि इसमें शरीर के अंगों और रक्तसंचार के साथ-साथ नर्वस सिस्टम पर भी काम किया जाता है।

सहज और सस्ती उपचार पद्धति

वेलनेस न्यूरोथेरेपी का एक और बड़ा फायदा यह है कि इसे कोई भी सरलता से सीख सकता है। इसके लिए किसी विशेष डिग्री की आवश्यकता नहीं है। भारत सरकार के नियमों के अनुसार, 10वीं पास व्यक्ति भी इस उपचार विधि को सीख सकता है और इसे अपने रोजगार का स्रोत बना सकता है।

वेलनेस न्यूरोथेरेपी का बढ़ता प्रभाव

कोरोना महामारी के बाद, वेलनेस न्यूरोथेरेपी के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है। इसके प्रभावी परिणामों के कारण, अब लोग इस उपचार पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आचार्य राम गोपाल दीक्षित के अनुसार, यह पद्धति अब न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में एक प्रभावी और लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति बन चुकी है।

इस चिकित्सा पद्धति ने मनीषा और सुमन जैसे कई लोगों के जीवन को बदल दिया है, और अब यह लाखों लोगों के लिए एक संजीवनी का काम कर रही है।

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