सिनेमा का काला सच: ‘देशद्रोही’ बनी IMDb पर सबसे खराब रेटिंग वाली भारतीय फिल्म, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर फिल्म की सफलता और असफलता पर चर्चा होती रहती है, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी होती हैं जो अपनी असफलता के कारण इतिहास में दर्ज हो जाती हैं। हिंदी सिनेमा की एक ऐसी फिल्म जो आज भी आलोचनाओं और विवादों के बीच अपनी जगह बनाए हुए है, वह है ‘देशद्रोही’। यह फिल्म साल 2008 में रिलीज हुई थी और इसे IMDb पर अब तक की सबसे खराब रेटिंग वाली फिल्म के रूप में जाना जाता है।

‘देशद्रोही’ का विवादित सफर

‘देशद्रोही’ में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कमाल राशीद खान, जिन्हें केआरके के नाम से जाना जाता है, ने न केवल इस फिल्म में अभिनय किया था, बल्कि इसके निर्माण का भी जिम्मा खुद उठाया था। फिल्म का निर्देशन किया था जगदीश शर्मा ने, लेकिन यह फिल्म अपने विवादों और नकारात्मक समीक्षाओं के कारण कभी भी दर्शकों का दिल नहीं जीत पाई।

IMDb पर ‘देशद्रोही’ को महज 1.2 की रेटिंग मिली, जो भारतीय सिनेमा की सबसे खराब रेटिंग मानी जाती है। फिल्म में केआरके के अलावा ग्रेसी सिंह, ऋषिता सिंह, मनोज तिवारी, और कादर खान जैसे कलाकार भी थे, लेकिन बावजूद इसके यह फिल्म दर्शकों से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं ही प्राप्त कर पाई।

क्या था फिल्म का कंटेंट?

‘देशद्रोही’ मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के उत्पीड़न पर आधारित थी और इसमें ड्रग्स और आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों को उठाया गया था। फिल्म के कंटेंट और विषय ने इसे और भी विवादित बना दिया। विशेष रूप से, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद इस फिल्म को लेकर आलोचनाएं तेज हो गईं। इसमें दिखाए गए आतंकवाद और अन्य मुद्दे उस वक्त के माहौल में बहुत संवेदनशील थे, जिसके कारण फिल्म को महाराष्ट्र में बैन कर दिया गया था।

बजट बनाम बॉक्स ऑफिस कलेक्शन: एक कड़ी असफलता

‘देशद्रोही’ का बजट करीब 3 करोड़ रुपये था, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर महज 89 लाख रुपये ही कमा पाई। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म की कमाई उम्मीदों से कहीं ज्यादा कम रही। हालांकि, इस फिल्म ने बॉलीवुड में अपनी असफलता के नए रिकॉर्ड स्थापित किए, वहीं इसके सितारों के करियर पर भी इसका गहरा असर पड़ा।

केआरके का करियर और सोशल मीडिया का प्रभाव

‘देशद्रोही’ के बाद, केआरके को फिल्मों में ऑफर मिलने में काफी कमी आ गई और उनका फिल्मी करियर लगभग खत्म हो गया। हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया पर्सनालिटी के तौर पर अपनी पहचान बनानी शुरू की और जल्द ही ‘बिग बॉस’ जैसे रियलिटी शो का हिस्सा बने। उनका सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना और विवादों में घिरे रहना अब उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है।

फिल्म की एक और लीड एक्ट्रेस ग्रेसी सिंह के लिए भी यह फिल्म बेहद हानिकारक साबित हुई। ग्रेसी सिंह, जो पहले ‘लगान’ और ‘मुन्नाभाई MBBS’ जैसी हिट फिल्मों का हिस्सा थीं, के लिए इस फिल्म के बाद बॉलीवुड में अच्छे ऑफर आना काफी कम हो गए। उनकी फिल्मी करियर को इस फिल्म ने एक बड़ा झटका दिया।

‘देशद्रोही’ की रेटिंग अन्य फिल्मों से भी कम

जहां एक ओर फिल्म ने केआरके और ग्रेसी सिंह जैसे सितारों के करियर को प्रभावित किया, वहीं इसके IMDb पर मिले 1.2 रेटिंग ने इसे बॉलीवुड की अन्य बड़ी फिल्मों जैसे राम गोपाल वर्मा की ‘आग’, ‘गुंडे’, और ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्मों से भी पीछे छोड़ दिया, जिनकी रेटिंग भी अपेक्षाकृत कम रही।

कुल मिलाकर एक काला अध्याय

‘देशद्रोही’ को आज भी भारतीय सिनेमा का एक काला अध्याय माना जाता है। इसके खराब कंटेंट, विवादित विषय, और बुरी रेटिंग के चलते यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में अपनी छाप छोड़ने में सफल रही, लेकिन यह छाप किसी सकारात्मक कारण से नहीं, बल्कि अपनी नाकामी की वजह से बनी।

यह फिल्म एक उदाहरण है कि कभी-कभी एक अच्छे बजट और स्टार कास्ट से भी फिल्म को सफलता नहीं मिल सकती, अगर उसका कंटेंट दर्शकों और समाज के संवेदनशील मुद्दों से मेल न खाता हो। ‘देशद्रोही’ की असफलता यह भी दिखाती है कि बॉलीवुड में सफलता केवल स्टार पावर और बजट पर निर्भर नहीं होती, बल्कि सही कंटेंट और दर्शकों की समझ भी महत्वपूर्ण है।

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