दिल्ली में एक बार फिर से बस मार्शल का विवाद उभर आया है, जो आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से बस मार्शलों की नियुक्ति बहाल करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता को एक दिलचस्प ऑफर भी दिया है, जिससे इस मुद्दे पर राजनीति का एक नया मोड़ सामने आ सकता है।
एलजी पर मार्शलों की नौकरी हटाने का आरोप
सीएम आतिशी ने आरोप लगाया कि एलजी विनय कुमार सक्सेना ने अक्टूबर में एक साइन करके 10,000 से ज्यादा बस मार्शलों को उनकी नौकरी से निकाल दिया। उनका कहना है कि एलजी यह दावा करते हैं कि यह निर्णय उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सलाह पर लिया, लेकिन आतिशी का कहना है कि केजरीवाल ने चिट्ठी लिखकर केवल यह अनुरोध किया था कि वॉलंटियर्स को काम से हटाया न जाए, बल्कि उन पर कार्रवाई की जाए जिन्होंने काम नहीं किया।
आतिशी ने यह भी कहा कि वह उस वक्त दिल्ली की रिवेन्यू मंत्री थीं और उन्होंने भी कई बार एलजी को पत्र लिखकर मार्शलों की वेतन समस्या का समाधान करने की मांग की थी।
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए
सीएम आतिशी ने एलजी पर महिलाओं की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि जब तक बसों में मार्शल तैनात थे, महिलाएं यात्रा के दौरान खुद को सुरक्षित महसूस करती थीं। अब जब मार्शल हटा दिए गए हैं, तो महिलाएं फिर से असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह राजनीति की बजाय महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है, और एलजी इसे सिर्फ राजनीतिक कारणों से टाल रहे हैं।
विजेंद्र गुप्ता को दिया ऑफर
सीएम आतिशी ने विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता को एक सीधा ऑफर भी दिया। उन्होंने कहा कि अगर विजेंद्र गुप्ता बस मार्शलों की बहाली के प्रस्ताव को एलजी से पास करा देते हैं, तो आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव में उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इतना ही नहीं, आतिशी ने कहा कि अगर गुप्ता यह काम कर पाते हैं, तो वह खुद उनके लिए चुनावी प्रचार करेंगी।
एलजी का टालमटोल रवैया
आतिशी ने आरोप लगाया कि जब विजेंद्र गुप्ता ने उनसे मिलने के बाद मार्शल नियुक्ति के प्रस्ताव को एलजी से पास कराने का वादा किया, तो उन्होंने कैबिनेट से इसे पारित करवा लिया था। लेकिन जब गुप्ता से वादा पूरा नहीं किया और टालमटोल करने लगे, तो दिल्ली सरकार ने खुद एक नीति बनाने की कोशिश की। हालांकि, जब नीति बनाई जाने लगी, तो ट्रांसपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि नीति का मसला एलजी द्वारा तय किया जाएगा।
इसके बाद, 10 नवंबर को दिल्ली सरकार ने एक ऑल मिनिस्टर्स मीटिंग बुलाकर 13 नवंबर को प्रस्ताव भेजा, जिसमें मार्शलों की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से बहाल करने की मांग की गई थी, लेकिन अब तक एलजी की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया।
आगामी चुनावों में यह मुद्दा बन सकता है मुख्य
यह मुद्दा दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच बढ़ती खींचतान को और भी गहरा सकता है, खासकर विधानसभा चुनावों के नजदीक आने पर। बस मार्शलों की बहाली को लेकर सीएम आतिशी की ओर से किए गए आरोप और विपक्ष के नेता को दिए गए ऑफर से यह मामला और भी सियासी रंग ले सकता है। राजनीति में इसका बड़ा असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि महिलाएं और अन्य यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा दिल्ली की राजनीति में हमेशा महत्वपूर्ण रहा है।
अब यह देखना होगा कि एलजी इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं और क्या इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच और संघर्ष बढ़ता है, या फिर यह मामले चुनाव से पहले सुलझा लिया जाएगा।