बॉम्बे हाईकोर्ट ने गर्भवती महिला को छह महीने की जमानत दी, जेल में बच्चे के जन्म को लेकर अहम फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय फैसले में, एक गर्भवती महिला को छह महीने की जमानत दी है, जिसे मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने कहा कि जेल के कठोर माहौल में बच्चे का जन्म होना न केवल मां, बल्कि नवजात के स्वास्थ्य और सम्मान पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की पीठ ने इस फैसले में विशेष ध्यान दिया कि किसी भी कैदी का सम्मान का अधिकार होता है, और जेल में बच्चे का जन्म स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।

महिला की गिरफ्तारी और आरोप:

यह मामला सुरभि सोनी से जुड़ा है, जिन्हें अप्रैल 2024 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांसेस (NDPS) एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। गोंदिया रेलवे सुरक्षा बल ने एक ट्रेन में छापेमारी के दौरान पांच आरोपियों से मादक पदार्थ बरामद किए थे, जिसमें सोनी का नाम भी शामिल था। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपियों के पास से कुल 33 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ था, जिसमें से सात किलोग्राम सोनी के सामान से मिला था। हालांकि गिरफ्तारी के समय सोनी दो महीने की गर्भवती थीं, जो इस मामले को और जटिल बना देता था।

मानवीय दृष्टिकोण से लिया गया फैसला:

सुरभि सोनी ने अपनी जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, ताकि वह जेल से बाहर रहकर बच्चे को जन्म दे सकें। अदालत ने इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाया और सोनी को छह महीने की जमानत देने का फैसला सुनाया। हालांकि अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध किया, उनका कहना था कि सोनी के पास से व्यावसायिक मात्रा में गांजा मिला था, और जेल में डिलीवरी के लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे। लेकिन अदालत ने माना कि भले ही जेल के अस्पताल में डिलीवरी संभव है, लेकिन यह एक गंभीर और संवेदनशील मामला है जिसे मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।

जेल में जन्म के प्रभाव पर अदालत की टिप्पणी:

अदालत ने कहा कि जेल में गर्भावस्था के दौरान बच्चे का जन्म मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। हर व्यक्ति को सम्मान का अधिकार होता है, और इसमें कैदी भी शामिल हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत देने से जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि आरोप पत्र पहले ही दाखिल हो चुका है और जांच पूरी हो चुकी है। इस फैसले ने यह भी साबित किया कि न्याय व्यवस्था में मानवीय पहलू और संवेदनशीलता का अहम स्थान है।

अदालत का अहम निर्णय:

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह फैसला देते हुए जेल के कठोर माहौल को लेकर गंभीर चिंता जताई और यह बताया कि कोई भी इंसान, चाहे वह जेल में हो, उसे सम्मान और देखभाल का हक है। इस फैसले के बाद, अब सुरभि सोनी को छह महीने की जमानत मिल गई है, जिससे वह बाहर रहकर अपने बच्चे को जन्म दे सकेंगी, लेकिन उनके खिलाफ आरोपों की सुनवाई जारी रहेगी।

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