अडानी मामले में भारत सरकार का बयान: अमेरिका से कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली, कानूनी प्रक्रिया जारी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अडानी मामले को लेकर अमेरिका में चल रही कानूनी कार्रवाई पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि अडानी पर आरोपों का मामला एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें अमेरिकी न्याय विभाग, निजी कंपनियों और कुछ व्यक्तियों की भूमिका है।

“कानूनी मामला है, भारत सरकार का इसमें कोई दखल नहीं”

रणधीर जायसवाल ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि भारत सरकार को इस मामले की जांच के बारे में पहले से कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक भारतीय दूतावास को भी अमेरिका से किसी प्रकार का गिरफ्तारी वारंट या कानूनी कार्रवाई की सूचना नहीं मिली है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि यह मामला पूरी तरह से कानूनी प्रकिया का हिस्सा है, इसलिए भारत सरकार इस समय इस मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

“अमेरिकी सरकार से कोई संवाद नहीं हुआ”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने इस मुद्दे पर अमेरिकी सरकार से कोई संवाद नहीं किया है। अमेरिका की कानूनी प्रक्रिया स्वतंत्र रूप से चल रही है, और हमें इस मामले में कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है। यह पूरी तरह से एक निजी कानूनी विवाद है, जिसमें भारत सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है।”

“कानूनी विकल्प हमेशा मौजूद रहते हैं”

रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि हर कानूनी मामले का अपना एक रास्ता और विकल्प होता है, और वह पूरी तरह से अदालती प्रक्रियाओं के तहत निपटता है। उन्होंने विश्वास जताया कि अमेरिकी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन पूरी तत्परता से किया जाएगा।

“भारत सरकार का कोई रोल नहीं”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि इस समय भारत सरकार इस मामले में कानूनी तौर पर किसी भी रूप में शामिल नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी विदेशी सरकार द्वारा समन या गिरफ्तारी वारंट की तामील के लिए किया गया अनुरोध आपसी कानूनी सहायता के तहत आता है, और इसमें भारत सरकार का कोई विशेष दखल नहीं होता है।

अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में चल रही जांच के इस मुद्दे पर भारत सरकार का रुख पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप है, और यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस मामले में सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होगा। अब देखना यह है कि आगे इस कानूनी प्रक्रिया में क्या नया मोड़ आता है और क्या इससे अडानी समूह की मुश्किलें बढ़ती हैं।

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