उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ वाले बयान पर देशभर में विवाद छिड़ चुका है और अब महाराष्ट्र में भी इसका गूंज सुनाई देने लगा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार ने इस बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र की राजनीति और संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र का इतिहास हमेशा एकता, सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने का रहा है, और इस प्रकार के बयान यहां के लोगों के स्वभाव से मेल नहीं खाते।
पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अजित पवार ने कहा, “मैं आपसे हाथ जोड़कर कहता हूं कि महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा फुले की धरती है. यहां के लोग कभी भी जातिवाद, बंटवारे या सांप्रदायिकता को नहीं मानते। इस प्रकार के बयान महाराष्ट्र के लोगों को स्वीकार नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र ने हमेशा समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की परंपरा को माना है और इस राज्य का इतिहास इसके लिए गवाही देता है।
अजित पवार ने यह भी जोड़ा, “शिवाजी महाराज की शिक्षा समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने की थी, न कि किसी को बांटने की। बाहर से आए लोग अपने विचार रखकर चले जाते हैं, लेकिन महाराष्ट्र ने हमेशा ऐसे विचारों को नकारा है।”
सीएम योगी का विवादित बयान: “बटेंगे तो कटेंगे”
गौरतलब है कि 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए पूर्वी महाराष्ट्र के वाशिम में एक चुनावी रैली में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “मैं छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा ले रहा हूं और आपसे यह अपील करता हूं कि आप बंटे नहीं क्योंकि जब भी हम बंटे, हम कटे हैं।” उन्होंने आगे महा विकास आघाडी (MVA) को ‘महा अनाड़ी’ करार देते हुए कहा, “यह गठबंधन देश, धर्म, राष्ट्रवाद और समाज के मूल्यों से पूरी तरह बेखबर है।”
राजनीतिक माहौल में गर्मी
सीएम योगी के इस बयान ने न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र में भी सियासी हलचल तेज कर दी है। जहां बीजेपी इस बयान को समाज में एकता और अखंडता की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे बंटवारे की राजनीति से जोड़कर इसकी कड़ी आलोचना कर रही हैं।
अजित पवार, जो राज्य में बीजेपी के गठबंधन सहयोगी हैं, ने इस बयान को महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ बताते हुए बीजेपी और योगी आदित्यनाथ से इस प्रकार के विभाजनकारी विचारों से बचने की अपील की है। उनके मुताबिक, महाराष्ट्र का इतिहास सामाजिक समरसता, समानता और भाईचारे का रहा है, और यहां के लोग किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक या जातिवाद की राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे।
यह विवाद आने वाले दिनों में चुनावी माहौल में और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रही हैं।