भारत में 5 नवंबर से शुरू हुआ छठ महापर्व, आज अपने तीसरे दिन ‘संध्या अर्घ्य’ के साथ पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब इसे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी जाना जा रहा है। खासकर, बिहार के जमुई जिले के आईपीएस अफसर आशीष कुमार की पहल ने इस पर्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
आशीष कुमार, जो वर्तमान में बिहार के सारण जिले के एसपी हैं, ने छठ महापर्व के महत्व और इसके पूजा विधि के बारे में फ्रेंच भाषा में एक विस्तृत लेख लिखा। उनका यह लेख भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के सहयोग से 2013 में *”Rencontre avec l’Inde”* नामक किताब में प्रकाशित हुआ। यह किताब विशेष रूप से उन 54 देशों के नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है जो फ्रेंच बोलते हैं और उनकी भाषा में भारत की सांस्कृतिक धरोहर को समझने में मदद करती है।
फ्रांसीसी में छठ का महत्व: एक पहल और उसकी अंतरराष्ट्रीय सराहना
आशीष कुमार के इस लेख को पढ़कर, फ्रेंच भाषी देशों के नागरिकों को छठ महापर्व के बारे में न केवल जानकारी मिल रही है, बल्कि वे इस त्योहार के वैज्ञानिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक पहलुओं को भी समझ पा रहे हैं। आशीष ने किताब में छठ पर्व के चार दिनों की पूजा विधि, सूर्य पूजा, जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व, और सूप तथा दौरे के पूजा में समाविष्ट होने के वैज्ञानिक कारणों को भी विस्तार से समझाया है।
उन्होंने लिखा कि छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना का पर्व है, जो शारीरिक, मानसिक और आचारिक शुद्धता को महत्व देता है। इस पर्व में, विशेष रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है, ताकि जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का संचार हो सके। आशीष कुमार के अनुसार, यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को एकजुट करने और सामूहिकता की भावना को प्रोत्साहित करता है।
आईपीएस अफसर की व्यक्तिगत पहल: फ्रांस में हुआ था छठ का पहली बार चर्चा
यह कहानी 15 साल पहले की है, जब आशीष कुमार फ्रांस में एक स्टडी टूर पर गए थे। उस दौरान, उन्होंने कुछ फ्रेंच भाषी लोगों को बिहार और भारतीय संस्कृति के बारे में जानकारी दी, जिसमें विशेष रूप से छठ महापर्व पर चर्चा हुई। फ्रांसीसी लोग इस पर्व के प्रति काफी प्रभावित हुए, और इस चर्चा के बाद आशीष ने छठ महापर्व के महत्व को और गहराई से समझने और लोगों तक पहुंचाने का निर्णय लिया। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था *”Chhath Puja: l’adoration du Dieu Soleil”* और इसे फ्रेंच में प्रकाशित किया गया।
इस किताब में आशीष ने छठ के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जैसे कि सूर्य देवता की पूजा की वैज्ञानिक और धार्मिक आधार, जल में खड़े होकर अर्घ्य देने का तरीका और सूप तथा दौरे का महत्व। उन्होंने यह भी बताया कि यह पर्व समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करता है और भारतीय समाज की सांस्कृतिक विविधता को एक मंच पर लाता है।
आशीष कुमार का प्रयास: भारत और फ्रांस के सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करना
आईसीसीआर द्वारा प्रकाशित *”Rencontre avec l’Inde”* किताब में छठ महापर्व का समावेश भारत और फ्रांस के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है। इस किताब का उद्देश्य फ्रांसीसी भाषी देशों के नागरिकों को भारतीय संस्कृति, परंपराओं और त्यौहारों से परिचित कराना है, ताकि वे भारत के सांस्कृतिक समृद्धि को समझ सकें।
आशीष कुमार की इस पहल ने न केवल छठ महापर्व को वैश्विक पहचान दिलाई है, बल्कि यह भी साबित किया है कि भारतीय त्योहार और परंपराएं अब दुनिया भर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं। आशीष के इस प्रयास ने यह भी साबित किया है कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में समझ और सम्मान को बढ़ावा मिलता है, और इससे भारतीय संस्कृति को विश्वभर में एक नई पहचान मिली है।
भारत में छठ महापर्व का उत्सव: वैश्विक स्तर पर एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पहचान
आज, जब छठ महापर्व का पर्व पूरे भारत में मनाया जा रहा है, और खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल में इसकी धूम है, आशीष कुमार की यह पहल यह साबित करती है कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर न केवल देश के भीतर, बल्कि दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ रही है। उनके द्वारा लिखी गई फ्रेंच में छठ पर किताब ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस पर्व को और ज्यादा सराहा गया है, और यह भारत के सांस्कृतिक वैभव को दर्शाता है।
आज, छठ महापर्व न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में एकजुटता, प्रकृति के प्रति सम्मान और पारंपरिक भारतीय संस्कृति के प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा है।