महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है, जिसमें 288 सीटों के लिए 7995 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है। इस चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है, खासकर बागी नेताओं की वजह से। कई सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों के चलते दोनों ही गठबंधनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इस बार महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक दल अपने ही नेताओं की बगावत से परेशान हैं। जब कुछ नेताओं को टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। यह स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण बन गई है, क्योंकि बीजेपी के खिलाफ शिंदे की शिवसेना और एनसीपी के खिलाफ बीजेपी के बागी उम्मीदवार भी सक्रिय हैं। यदि ये निर्दलीय उम्मीदवार 4 नवंबर तक अपना नाम वापस नहीं लेते, तो सत्ताधारी उम्मीदवारों के लिए समस्या खड़ी हो सकती है।
बागी नेताओं की लहर
बीजेपी के बागियों में प्रमुख नाम गोपाल शेट्टी का है, जिन्होंने बोरीवली विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार संजय उपाध्याय के खिलाफ निर्दलीय रूप से नामांकन भरा। इसी तरह, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के खिलाफ भी कई बीजेपी नेता बागी हो गए हैं, जैसे कि पचोरा सीट पर अमोल शिंदे और मुंबादेवी में अतुल शाह।
अजीत पवार की एनसीपी के खिलाफ भी बीजेपी के बागी नेताओं ने मोर्चा खोला है। कुछ सीटों पर बीजेपी नेता एनसीपी के उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े हो गए हैं, जैसे कि अहेरिट और अमलनेर सीट पर।
महाविकास अघाड़ी में भी उठ रही आवाजें
इंडिया गठबंधन में भी बगावत की आवाजें सुनाई दे रही हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के कई नेता भी बगावत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पंढरपुर में शरद पवार गुट के अनिल सावंत और उद्धव गुट के भागीरथ भालके के बीच तनाव बढ़ गया है।
इस चुनावी माहौल में, दोनों गठबंधनों के नेताओं को अपने-अपने बागी उम्मीदवारों के चलते सियासी टेंशन का सामना करना पड़ रहा है। देखना होगा कि क्या यह बगावत चुनावी नतीजों पर असर डाल पाएगी, या फिर एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने में सफल होंगे।