नवाब मलिक की वापसी: अजित पवार ने मानखुर्द से दिया बड़ा सियासी झटका, बीजेपी का दवाब हुआ बेअसर

भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक दबाव के बावजूद, एनसीपी के कद्दावर नेता नवाब मलिक को मानखुर्द विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया गया है। यह फैसला अजित पवार की ओर से लिया गया है, जिसने मुंबई की राजनीति में हलचल मचा दी है। नामांकन के आखिरी दिन नवाब मलिक को एनसीपी का ए और बी फॉर्म सौंपा गया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार होंगे।

 राजनीतिक खेल और दबाव

दरअसल, अणुशक्तिनगर से विधायक नवाब मलिक को टिकट न देने का लगातार बीजेपी द्वारा दबाव बना हुआ था। इस दबाव के चलते, अजित पवार ने पहले इस सीट से मलिक का टिकट काटकर उनकी बेटी सना मलिक को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन नवाब मलिक ने मानखुर्द से पर्चा भरने का ऐलान कर दिया, जिसने सियासी समीकरणों को बदलकर रख दिया।

बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेल्लार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हम किसी दाऊद के समर्थक को उम्मीदवार नहीं बना सकते हैं।” शेल्लार का यह बयान नवाब मलिक के लिए एक सीधा चुनौती था, जिसके बाद अजित पवार दिल्ली पहुंचे। वहां उन्होंने बीजेपी हाईकमान के साथ उम्मीदवार चयन पर लंबी चर्चा की।

 नवाब मलिक का विवादित अतीत

महाविकास अघाड़ी सरकार में मंत्री रहे नवाब मलिक को दाऊद इब्राहिम और उससे जुड़े लोगों से पैसे लेने के आरोप में जेल जाना पड़ा था। उन्हें इस साल जमानत मिली थी, और जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने शरद पवार को छोड़कर अजित पवार का दामन थाम लिया। नवाब मलिक की इस राजनीतिक पारी ने उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह मुसलमानों के बीच एक प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और एनसीपी के मुंबई अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

 अबू आजमी से टक्कर

मानखुर्द सीट पर नवाब मलिक का मुकाबला समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता अबू आजमी से होगा। अबू आजमी, जो 2019 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं, महाराष्ट्र में अखिलेश यादव की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। मानखुर्द में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए, यहां से कई पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवार उतारती हैं, जिससे यह चुनावी लड़ाई और भी दिलचस्प हो गई है।

 राजनीतिक भविष्य पर सवाल

नवाब मलिक की इस वापसी ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। क्या वह अपने विवादास्पद अतीत के बावजूद अपने समर्थकों को जीतने में सफल होंगे? या बीजेपी का दबाव उन्हें चुनावी मैदान में पीछे हटने पर मजबूर करेगा? इस घटनाक्रम ने मुंबई की राजनीति में कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं, और सभी की नजरें इस दिलचस्प चुनावी मुकाबले पर टिकी हुई हैं।

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