दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने आज राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आयोजित ‘एकता दौड़’ को हरी झंडी दिखाई, जिसमें केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, मनोहर लाल खट्टर, नित्यानंद राय और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस बार यह दौड़ 31 अक्टूबर की बजाय धनतेरस के अवसर पर 29 अक्टूबर को आयोजित की गई है, जिससे दीवाली की तैयारियों के बीच एकता का संदेश और भी प्रभावी हो सके।
कार्यक्रम में 8,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिन्हें बधाई देते हुए अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में सरदार पटेल की स्मृति में ‘एकता दौड़’ की शुरुआत की थी। यह दौड़ न केवल देश की अखंडता का प्रतीक है, बल्कि यह विकसित भारत की संकल्पना का भी हिस्सा बन चुकी है। शाह ने कहा, “2047 में जब भारत की आजादी की शताब्दी होगी, तब हम एक पूर्ण विकसित राष्ट्र के रूप में खड़े होंगे।”
भारत की मजबूती पर जोर देते हुए, अमित शाह ने कहा कि आज भारत एक फलता-फूलता राष्ट्र बन चुका है, लेकिन इतिहास की ओर देखते हुए, आजादी के बाद 553 से अधिक रजवाड़ों को एक करने की चुनौती का सामना करना पड़ा था। यह सरदार पटेल की दृढ़ इच्छाशक्ति थी, जिसने देश का मानचित्र तैयार किया। उन्होंने बताया कि आज भारत एकजुट होकर मजबूती से दुनिया के सामने खड़ा है, और इसकी नींव सरदार पटेल ने रखी थी।
अमित शाह ने सरदार पटेल को लंबे समय तक भुलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें भारत रत्न जैसे उचित सम्मान से वंचित रखा गया। लेकिन पीएम मोदी ने केवड़िया कॉलोनी में सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा लगाकर उनकी स्मृति को अमर कर दिया है। शाह ने कहा कि मोदी ने सरदार पटेल के दृष्टिकोण और संदेश को मूर्तरूप देने का कार्य किया है, और उनके विचारों से प्रेरणा लेकर युवाओं को देश के विकास में भागीदार बनने का आह्वान किया है।
इस ‘एकता दौड़’ ने न केवल सरदार पटेल की विरासत को फिर से जीवित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत की एकता और अखंडता आज भी हमारे समाज की मूल धारा बनी हुई है।