दिवाली के नजदीक आते ही दिल्ली-NCR की हवा फिर से जहरीली होती जा रही है, और प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के पार जा चुका है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस स्थिति के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, claiming कि सीमापार खेतों में आग जलने से जहरीला धुआं यहाँ पहुँच रहा है।
AQI की विभिन्न श्रेणियाँ हैं, जिसमें 0-50 को ‘अच्छा’, 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’, और 401-500 ‘गंभीर’ माना जाता है। ग्रेटर नोएडा के प्रदूषण नियंत्रण अधिकारियों का कहना है कि यह पहली बार है जब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में एक ही दिन में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ पाई गई है।
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डीके गुप्ता ने कहा कि सीमा पार पराली जलाने की घटनाएं गंभीर समस्या बन चुकी हैं, और इसके चलते उत्तर भारत और पूर्वी पाकिस्तान में घना धुआं फैल गया है। दिवाली के बाद यह स्थिति और खराब होने की संभावना है।
हालांकि, यह सिर्फ एकतरफा आरोप नहीं है। पाकिस्तान के लाहौर में AQI 700 के पार पहुँच गया है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्वस्थ वायु मानकों से 65 गुना अधिक है। लाहौर भारत की सीमा से महज 25 किमी दूर है, और मौसम संबंधी पूर्वानुमान बताते हैं कि स्थानीय वायु प्रवाह इस प्रदूषण को दिल्ली तक नहीं पहुँचने दे रहा है।
दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों को फटकार लगाई है, जबकि स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि पराली जलाने की घटनाएं काफी कम हुई हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी के बुलेटिन के अनुसार, 28 से 30 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहने का अनुमान है, और दिवाली के बाद यह ‘गंभीर’ स्थिति तक पहुँच सकती है।
पाकिस्तान ने भी बदले में भारत पर प्रदूषण का आरोप लगाया है। वहाँ के पर्यावरण सचिव ने कहा कि वाहनों का धुआं, पराली जलाना, कारखानों से उत्सर्जन, और ईंट भट्ठों का संचालन धुंध की स्थिति को और बिगाड़ रहा है। हाल की स्टडी में कहा गया है कि वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण प्रमुख कारणों में से एक है।
इस प्रकार, दोनों देशों के बीच प्रदूषण का यह आरोप-प्रत्यारोप स्थिति को और जटिल बना रहा है, और प्रदूषण के कारण लोगों की स्वास्थ्य स्थितियाँ दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही हैं।