पंजाब में धान खरीद में हो रही बाधा: केंद्रीय मंत्री का किसानों को आश्वासन, ‘हर दाना खरीदा जाएगा

पंजाब में धान की धीमी खरीद और अन्य संबंधित मुद्दों को लेकर किसानों के बीच बढ़ते आक्रोश के बीच, केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने स्पष्ट आश्वासन दिया है कि सरकार पंजाब में चावल का हर एक दाना खरीदेगी। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य 185 लाख मैट्रिक टन चावल की खरीद को पूरा करना है, और वे इस वादे पर कायम हैं।

धान की खरीद पर राजनीतिक तनाव

केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सरकार वादे के अनुसार धान की खरीद करेगी,” और भंडारण की कमी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि यह सरासर गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भंडारण की कमी नहीं है और इसके लिए आवश्यक जगह उपलब्ध कराई जा रही है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पंजाब में किसान अपनी मांगों को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

किसान हैं चिंतित

पंजाब के किसान सरकार से आउटपुट टर्न रेशो (OTR) नियमों में ढील देने की मांग कर रहे हैं। हाल की भारी बारिश के कारण, 1 अक्टूबर से शुरू हुई धान की खरीद में देरी हुई है। किसानों ने आरोप लगाया है कि धान की खरीद में रुकावटें आ रही हैं। सरकार ने हालांकि नवंबर तक 185 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का वादा किया है, और भारतीय खाद्य निगम (FCI) के आंकड़ों के अनुसार, 26 अक्टूबर तक मंडियों में 54.5 लाख टन धान की आवक में से 50 लाख टन की खरीद हो चुकी है।

सरकार की तैयारी

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि कुल 3854 मिलर्स ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 3283 को पहले ही काम आवंटित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अगले सात दिनों में और मिलर्स के रजिस्ट्रेशन होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार के साथ कई बैठकें की गई हैं ताकि भंडारण के लिए पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

किसानों का आक्रोश

हालांकि, किसानों का आक्रोश कम नहीं हो रहा है। प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि सरकार के दावे और वास्तविकता में बड़ा अंतर है। किसान चाहते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए ताकि वे अपनी फसल को सही दाम पर बेच सकें।

इस संकट के बीच, केंद्रीय मंत्री का बयान किसानों के लिए राहत का संकेत हो सकता है, लेकिन धरने-प्रदर्शनों का सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। अब देखना यह है कि क्या सरकार वास्तव में अपने वादे पर खरा उतर पाएगी या किसानों का प्रदर्शन और बढ़ेगा।

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