उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के चलते सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अपनी पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्य को टिकट देकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। निषाद पार्टी, जो इस सीट पर दावेदारी कर रही थी, अब बगावत की राह पर है। पुष्पलता बिंद, जो निषाद पार्टी से टिकट की दावेदार थीं, ने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए बगावत का झंडा उठाया है।
पुष्पलता बिंद का आरोप
पुष्पलता बिंद के पति, हरिशंकर बिंद ने निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि संजय निषाद ने उन्हें टिकट दिलाने के नाम पर 10 लाख रुपये दिल्ली में नकद लिए और आवेदन शुल्क के नाम पर पांच लाख रुपये की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि मिर्जापुर में होने वाले कार्यक्रमों का खर्चा भी उन्हें उठाना पड़ा। हरिशंकर बिंद का कहना है कि निषाद पार्टी के कई पदाधिकारी हर बार विदाई के नाम पर 20,000 से 50,000 रुपये ले जाते थे।
बगावत का ऐलान
हरिशंकर बिंद ने कहा, “पुष्पलता बिंद ने 6 महीने के अंदर 50 लाख रुपये से ज्यादा कार्यक्रमों और विदाई के नाम पर खर्च कर दिए हैं। टिकट मिलने पर 2 करोड़ रुपये की डिमांड की गई थी। हमें 6 महीने तक बेवकूफ बना कर रखा गया। अब हमारा समाज इस चुनाव में धोखा देगा। हम घर-घर जाकर अपील करेंगे कि इस पार्टी को धोखा दीजिए।”
पुष्पलता बिंद का परिचय
पुष्पलता बिंद, मझवां विधानसभा के वीरपुर की निवासी हैं। पेशे से शिक्षक, वह वर्तमान में ग्राम प्रधान हैं और उनके घर में तीन पंचवर्षीय से ग्राम प्रधानी का अनुभव है। 2022 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने बसपा से चुनाव लड़ा था और 52,990 वोट हासिल करके तीसरे स्थान पर रहीं थीं।
उपचुनाव के अन्य उम्मीदवार
मझवां विधानसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी से पूर्व विधायक सुचिस्मिता मौर्य, समाजवादी पार्टी से पूर्व सांसद डॉ. रमेश चंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद, और बहुजन समाज पार्टी से दीपक तिवारी ने नामांकन दर्ज किया है। इस बार का चुनाव न केवल पार्टी प्रत्याशियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह निषाद पार्टी के भीतर की राजनीतिक ताकतों का भी परीक्षण करेगा।
सियासी तनाव का माहौल
निषाद पार्टी में चल रही इस बगावत और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच, मझवां विधानसभा उपचुनाव अब एक और रोचक मोड़ लेने जा रहा है। क्या पुष्पलता बिंद और उनके समर्थक अपने समाज के बीच अपनी बात रख पाएंगे? यह चुनाव सियासी समीकरणों को बदल सकता है और देखना होगा कि इसका असर अंततः चुनाव परिणामों पर क्या होगा।