महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर विवादों का नया दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक में नाराजगी जताते हुए सवाल उठाया कि क्यों मुंबई और विदर्भ की मजबूत सीटें शिवसेना (यूबीटी) को दी गईं, जबकि ये सीटें कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण थीं।
राहुल की नाराजगी के पीछे का कारण
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी का गुस्सा इस बात पर है कि जिन सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन 2019 में बेहतरीन रहा, उन्हें उद्धव ठाकरे की पार्टी को ट्रांसफर किया गया। इनमें बांद्रा-पूर्व, नासिक-मध्य, रामटेक और अमरावती शामिल हैं। खासकर बांद्रा-पूर्व की सीट पर कांग्रेस ने 2019 में जीत हासिल की थी, जबकि नासिक-मध्य में वह दूसरे स्थान पर रही थी। इसके बावजूद, ये सीटें शिवसेना (यूबीटी) को दे दी गई हैं।
खींचतान के दौरान बैठक से नाराज होकर निकले राहुल
राहुल गांधी की नाराजगी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने बैठक छोड़ दी, लेकिन इसके बावजूद बैठक एक घंटे तक जारी रही। अब कांग्रेस हाईकमान ने विवादित सीटों को सुलझाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा करने का निर्णय लिया है।
सीटों का बंटवारा और नेताओं के परिवार की टिकट की दौड़
महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के बीच खींचतान का मामला गंभीर हो गया है। कांग्रेस के नाना पटोले और शिवसेना के संजय राउत दोनों ही अपने-अपने पक्ष में खड़े हैं। अंततः, कांग्रेस हाईकमान ने बाला साहेब थोराट को इस मामले में बातचीत के लिए आगे बढ़ाया।
कांग्रेस नेताओं के परिवार के सदस्य भी टिकटों की दौड़ में शामिल हैं। पूर्व अध्यक्ष बाला साहेब थोराट अपनी बेटी जयश्री के लिए टिकट की कोशिश कर रहे हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार भी अपने परिवार के लिए टिकट दिलाने में जुटे हैं।
चुनावी समय सीमा
महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है, जिसके बाद नाम वापस लेने और स्क्रूटनी का काम होगा। चुनाव 20 नवंबर को होंगे और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों पर जीत जरूरी है, और इस बार महायुति (शिवसेना-शिंदे, बीजेपी और एनसीपी-अजित) का मुकाबला महाविकास अघाड़ी (शिवसेना-उद्धव, कांग्रेस और एनसीपी-शरद) से है।
2019 का संदर्भ
2019 में भारतीय जनता पार्टी 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई। हालाँकि, 2022 में शिवसेना में टूट के बाद बीजेपी को सत्ता में आने का अवसर मिला।
महाविकास अघाड़ी के भीतर की इस खींचतान और राहुल गांधी की नाराजगी इस बात की ओर इशारा करती है कि चुनावी माहौल में अब कई उतार-चढ़ाव आने वाले हैं।