गुजरात के गिर सोमनाथ में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस मामले में कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि यह सरकारी जमीन है।
सुनवाई की मुख्य बातें
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने कहा कि अगले आदेश तक जमीन का कब्जा सरकार के पास रहेगा और किसी तीसरे पक्ष को इसे आवंटित नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के बाद, मामले में कानूनी स्थिति और भी स्पष्ट हो गई है।
मुस्लिम पार्टी का तर्क
सुनवाई के दौरान, मुस्लिम पार्टी की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील पेश की कि जिन संरक्षित स्मारकों पर बुलडोजर चलाए गए हैं, उनके लिए किसी तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं होना चाहिए। सिब्बल ने यह भी कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। उन्होंने तर्क दिया कि जो स्मारक ढहाए गए हैं, वे अरब सागर के पास हैं और जल निकायों के निकट नहीं हो सकते।
जस्टिस गवई ने सिब्बल के तर्क पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकारी जमीन का उपयोग केवल निर्धारित उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
प्रशासन का पक्ष
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि कोई भी संरक्षित स्मारक नहीं था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट का यह आदेश 2015 में पारित किया गया था और उसके अनुसार भूमि का उपयोग केवल निर्धारित उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
अवमानना याचिका
गिर सोमनाथ प्रशासन ने 28 सितंबर को मुस्लिम समुदाय के कुछ पूजा स्थलों, घरों और कब्रों पर बुलडोजर चलाया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई।
समस्त पाटनी मुस्लिम जमात ने इस संबंध में याचिका दाखिल की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 सितंबर 2024 के आदेश के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने गिर सोमनाथ में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर चल रही कानूनी हलचल को एक नया मोड़ दिया है। अब देखना यह होगा कि राज्य प्रशासन और मुस्लिम समुदाय इस स्थिति से आगे कैसे निपटते हैं, और क्या भविष्य में कोई और कानूनी कार्रवाई होती है।