उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनावों में कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट से सुरेश अवस्थी को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट मुस्लिम बहुल है और समाजवादी पार्टी (सपा) का इस क्षेत्र में लंबे समय से वर्चस्व रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में सपा के इरफान सोलंकी ने इस सीट पर लगातार जीत हासिल की, लेकिन एक मामले में कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें विधानसभा की सदस्यता खोनी पड़ी।
सपा का प्रभाव और भाजपा की रणनीति
सीसामऊ सीट पर सपा का प्रभाव मजबूत रहा है, और इरफान सोलंकी के जाने के बाद भाजपा ने इस अवसर का लाभ उठाने का निर्णय लिया है। भाजपा में इस सीट के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही थी, जिनमें पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी की बेटी नीतू सिंह और राकेश सोनकर शामिल थे। नीतू सिंह के लिए लोकसभा और मेयर की टिकट की मांग भी की गई थी, लेकिन ये प्रयास सफल नहीं हो सके। इसके अतिरिक्त, भाजपा के पुराने कार्यकर्ता नीरज चतुर्वेदी का नाम भी चर्चा में था।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
सीसामऊ सीट पर 2012 से 2022 के बीच इरफान सोलंकी ने तीन बार जीत दर्ज की। इससे पहले, 2002 और 2007 में संजीव दरियाबादी ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस सीट पर 1991, 1993 और 1996 में जीत का परचम लहराया था, जिसमें राकेश सोनकर ने सफलता प्राप्त की। इस प्रकार, सीसामऊ सीट पर सपा और भाजपा के बीच लंबी प्रतिस्पर्धा रही है।
भाजपा के अन्य उम्मीदवार
भाजपा ने उपचुनाव के लिए अन्य सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। ये उम्मीदवार हैं:
– मुरादाबाद की कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर
– गाजियाबाद से संजीव शर्मा
– अलीगढ़ की खैर से सुरेंद्र दिलेर
– मैनपुरी की करहल से अनुजेश यादव
– प्रयागराज की फूलपुर से दीपक पटेल
– अंबेडकरनगर की कटेहरी से धर्मराज निषाद
– मिर्जापुर की मझवां से सुचिस्मिता मौर्य
सियासी दांव और संभावनाएं
13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि यह सपा के पारंपरिक गढ़ों में सेंध लगाने का प्रयास है। वहीं, सपा का प्रयास होगा कि वह अपने पूर्व उम्मीदवार इरफान सोलंकी की विरासत को बचाए रखे। इस चुनावी लड़ाई में जीत-हार का फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि मतदाता किस पार्टी को अपने भविष्य के लिए सही समझते हैं।
नतीजे का महत्व
इस उपचुनाव के नतीजे केवल सीसामऊ के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। भाजपा और सपा के बीच की यह जंग न केवल स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होगी, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक नया मोड़ ला सकती है। मतदाताओं की नजरें अब इस चुनाव पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि कौन सी पार्टी सीसामऊ की राजनीतिक धारा को नियंत्रित करने में सफल होती है।