हाल के दिनों में अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी के साथ-साथ धरती के लिए संभावित खतरे भी बढ़ रहे हैं। हाल ही में एक बड़ा संचार उपग्रह, इंटेलसैट 33ई, ऑर्बिट में टूट गया है, जिससे अब यह अंतरिक्ष कचरे के रूप में घूम रहा है। यह घटना एक बार फिर से इस चर्चा को जन्म देती है कि क्या हम अपने अंतरिक्ष अन्वेषण के माध्यम से एक ऐसा संकट उत्पन्न कर रहे हैं जो भविष्य में हमारे ग्रह के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है।
अंतरिक्ष युग का आरंभ और इसके प्रभाव
अंतरिक्ष युग की शुरुआत 1950 के दशक में हुई, जब सोवियत संघ ने पहला उपग्रह स्पुतनिक-1 लॉन्च किया था। उसके बाद से अब तक हजारों उपग्रह और रॉकेट लॉन्च किए जा चुके हैं। इनमें से कई अब सक्रिय नहीं हैं, फिर भी ये धरती की ऑर्बिट में मौजूद हैं। हर दिन अंतरिक्ष में मानव निर्मित कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही है, और यह स्थिति चिंताजनक है।
क्या है अंतरिक्ष कचरा?
अंतरिक्ष कचरा, जिसे स्पेस जंक भी कहा जाता है, उन उपग्रहों और रॉकेटों के अवशेष हैं जो अब कार्य नहीं कर रहे हैं। इनमें विफल अंतरिक्ष मिशनों के अवशेष भी शामिल हैं। 1957 में लॉन्च किया गया स्पुतनिक-1 आज भी धरती की ऑर्बिट में घूम रहा है। चांद पर भी मानव निर्मित कचरा पाया जाता है, जो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा छोड़ा गया था।
स्पेस कचरे की वर्तमान स्थिति
हाल ही में इंटेलसैट 33ई उपग्रह 20 अक्टूबर को अचानक बिजली कटने के कारण टूट गया और इसके 20 टुकड़े हो गए। इस घटना ने अंतरिक्ष कचरे की समस्या को एक बार फिर से उजागर कर दिया है। वर्तमान में, अंतरिक्ष में लगभग 13,000 टन मानव निर्मित कचरा है, जिसमें से 4,000 टन का कचरा रॉकेट के बचे हुए हिस्सों में समाहित है।
कितना बड़ा खतरा है अंतरिक्ष कचरा?
हालांकि, धरती पर रहने वाले लोगों के लिए अंतरिक्ष कचरे से सीधा खतरा नहीं है, लेकिन यह नई अंतरिक्ष मिशनों के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। इसके टकराने का खतरा मौजूद है, जो भविष्य में नए मिशनों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन भी इस कचरे के लिए जोखिम में है।
केसलर सिंड्रोम: एक संभावित आपदा
1978 में नासा के वैज्ञानिक डोनाल्ड केसलर ने इस बात का सुझाव दिया था कि यदि अंतरिक्ष में कचरा बढ़ता गया, तो इससे टकराव की श्रृंखला शुरू हो सकती है, जिससे और अधिक कचरा उत्पन्न होगा। इस स्थिति को केसलर सिंड्रोम कहा जाता है, जो भविष्य में धरती की ऑर्बिट को अनियंत्रित बना सकता है।
समस्या का समाधान: क्या है उपाय?
अंतरिक्ष कचरे की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए प्रयास शुरू हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने सभी स्पेस कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने उपग्रहों को मिशन खत्म होने के 25 साल के भीतर ऑर्बिट से हटा लें। लेकिन यह कार्य आसान नहीं है। इसके लिए नई तकनीकों पर काम चल रहा है, जिसमें कचरे को पकड़ने के लिए जाल, बड़े चुंबक, या फिर उन्हें वायुमंडल में जलाने की तरकीबें शामिल हैं। 2018 में, एक प्रयास में सर्रे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी ने स्पेस कचरे को एक जाल से पकड़ने की कोशिश की थी।
निष्कर्ष: एक नई चुनौती का सामना
अंतरिक्ष में कचरे की समस्या को हल करना अब एक वैश्विक चुनौती बन चुकी है। यदि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह धरती के लिए एक गंभीर संकट का रूप ले सकता है। क्या हम अपनी खोज और अनुसंधान के उत्साह में इस खतरे को अनदेखा कर रहे हैं? यह सवाल हमारे वैज्ञानिकों और policymakers के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है।