बिहार के मुजफ्फरपुर के डीह जीवर गांव में संदिग्ध स्थिति में दो युवकों की मौत हो गई, जबकि एक युवक की आंखों की रोशनी चली गई। परिजनों ने जहरीली शराब पीने का आरोप लगाया है, लेकिन पुलिस को सूचित किए बिना शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस घटना के बाद से गांव में कोहराम मचा हुआ है, और स्थानीय पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
मृतकों की पहचान श्याम किशोर सहनी और मुकेश साहनी के रूप में हुई है। श्याम की मौत मंगलवार रात को हुई, जबकि मुकेश की बुधवार की दोपहर इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। परिजनों का कहना है कि इनकी मौत जहरीली शराब पीने के कारण हुई है, और सभी को तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
पार्टी के बाद बिगड़ी तबियत
जानकारी के मुताबिक, सभी युवक सोमवार को गांव के चौड़ में एक मुर्गा पार्टी में शराब पीने के लिए इकट्ठा हुए थे। शराब पीने के बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी, आंखों की रोशनी कम हो गई और उल्टियां होने लगीं। श्याम को गंभीर स्थिति में नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। मंगलवार की देर शाम उसे एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, परिजनों ने बिना पुलिस को सूचित किए शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
परिवार में छाया दुख
श्याम के पिता, चंद्र किशोर सहनी, ने बताया कि उनके बेटे ने सोमवार की रात 7 बजे घर से निकाला था और देर रात शराब पीकर घर लौटा। मंगलवार की सुबह सामान्य स्थिति में था, लेकिन शाम चार बजे से उसकी तबियत बिगड़ने लगी। परिवार का कहना है कि पुलिस ने इस मामले में कोई संपर्क नहीं किया है।
जांच की जा रही है
इस घटना में मुकेश साहनी और एक अन्य युवक की आंखों की रोशनी चली गई। मुकेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन बुधवार की दोपहर उसकी भी मौत हो गई। परिवार ने बिना पोस्टमार्टम कराए शव को दाह संस्कार के लिए घर ले जाने का निर्णय लिया। गांव में कोहराम मचा हुआ है, और मृतक श्याम की पत्नी रेनू का रो-रोकर बुरा हाल है।
रेनू ने बताया कि उनके पति ने पार्टी में शराब पीने की बात बताई थी। उन्होंने बताया कि चार लोगों ने एक साथ बैठकर शराब पी थी। रेनू ने कहा कि मंगलवार को उन्होंने अपने पति को स्नान कराया और खाना खिलाया, लेकिन अचानक तबियत बिगड़ गई।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने जानकारी मिलते ही मामले की जांच शुरू कर दी है और परिजनों तथा गांववालों से पूछताछ की जा रही है। यह मामला उन सवालों को भी खड़ा करता है, जिनमें जहरीली शराब की बिक्री और सेवन पर रोक लगाने की जरूरत है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन शवों का पोस्टमार्टम न कराना एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
गांव में फैली दहशत और शोक के बीच, यह घटना स्थानीय प्रशासन के लिए एक चुनौती बनी हुई है, जिससे यह पता चल सके कि आखिरकार इन युवा जीवनों के नुकसान की जिम्मेदारी किस पर है।