नालंदा, बिहार: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जनपद नालंदा में प्रीपेड स्मार्ट मीटर को लेकर विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है। बिजली विभाग ने लगभग 90 घरों की बिजली काट दी है, क्योंकि ग्रामीणों ने स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध किया। इस निर्णय के चलते पूरा गांव अंधकार में डूब गया है, और ग्रामीणों में पानी की किल्लत के कारण हाहाकार मच गया है।
स्मार्ट मीटर का विरोध और उसके परिणाम
बिंद प्रखंड के जहाना पंचायत के रामपुरबिगहा गांव के निवासियों ने जब बिजली विभाग के कर्मचारियों को स्मार्ट मीटर लगाने से रोका, तो विभाग ने कठोर कार्रवाई करते हुए उनके बिजली कनेक्शन काट दिए। अब महिलाएं सुबह-सुबह बर्तन लेकर हैंडपंप पर पानी भरने के लिए लाइन में लग रही हैं। स्थिति यह है कि ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
गांव की आबादी लगभग एक हजार है, और जब बिजली विभाग के कर्मी स्मार्ट मीटर लगाने पहुंचे, तो ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से इसका विरोध किया। ग्रामीणों ने कहा कि बिजली विभाग की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वे समय पर बिजली बिल चुका रहे थे, लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के कनेक्शन काट दिया गया।
किल्लत और संघर्ष
बिजली कटने के कारण जनवितरण दुकानों में केरोसिन का भी अभाव हो गया है, जिससे लोग रोशनी की व्यवस्था करने में भी असमर्थ हैं। कई ग्रामीण जलाए हुए डीजल डिब्बों के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। कुछ ग्रामीणों ने कहा कि अगर जल्द ही बिजली आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तो वे जिलाधिकारी के पास आवेदन देंगे और बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
विभाग की प्रतिक्रिया
विद्युत कनीय अभियंता कुमारी स्वेता सिन्हा ने कहा कि उन्हें किसी भी ग्रामीण के विद्युत कनेक्शन काटने की सूचना नहीं मिली। वहीं सहायक अभियंता नितेश कुमार ने भी कहा कि इस मामले में उनके संज्ञान में कोई जानकारी नहीं है। हालाँकि, मीडिया में मामला आने के बाद बुधवार देर शाम बिजली की आपूर्ति बहाल की गई।
यह घटना नालंदा के ग्रामीणों के लिए एक चेतावनी है कि कैसे सरकारी नीतियों का पालन न करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। क्या सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाएगी, या यह विवाद और बढ़ेगा? यह देखने की बात होगी कि स्थानीय प्रशासन ग्रामीणों के प्रति अपनी जिम्मेदारी कब निभाएगा।