तुर्किए के मुस्लिम उपदेशक फेतुल्लाह गुलेन, जिनकी विरासत विवादों से भरी हुई थी, का अमेरिका में निधन हो गया। 83 वर्षीय गुलेन ने रविवार को पेंसिल्वेनिया में एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए, द अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज ने उन्हें एक महान बौद्धिक और आध्यात्मिक नेता बताया, जिनका प्रभाव कई पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा।
तख्तापलट के आरोप और एर्दोगन के साथ विवाद
गुलेन पर 2016 में अंकारा में तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगा था। एक समय वह तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के करीबी सहयोगी थे, लेकिन समय के साथ उनके बीच गहरी खाई उत्पन्न हो गई। एर्दोगन ने गुलेन के खिलाफ कठोर आरोप लगाते हुए उन्हें तख्तापलट के प्रयास के लिए जिम्मेदार ठहराया, जबकि गुलेन ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया।
गुलेन ने तुर्की और उसके बाहर एक शक्तिशाली इस्लामिक आंदोलन स्थापित किया, जिसे ‘हिज्मत’ कहा जाता है। हालांकि, एर्दोगन सरकार ने गुलेन के नेटवर्क को देशद्रोही करार देते हुए आतंकवादी संगठन घोषित किया। इसके बाद गुलेन के आंदोलन से जुड़े हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, स्कूलों और मीडिया संस्थानों को बंद किया गया, और लाखों सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया।
तख्तापलट की रात: एक ऐतिहासिक मोड़
15 जुलाई 2016 को तुर्किए में सेना के एक गुट ने एर्दोगन सरकार के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की। टैंक और लड़ाकू विमानों के साथ यह गुट सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयास में जुट गया। हालांकि, जनता ने चुनी हुई सरकार के समर्थन में सड़कों पर उतरकर इस प्रयास को विफल कर दिया। इस संघर्ष में 250 से अधिक लोग मारे गए और 2,700 अन्य घायल हुए। एर्दोगन उस समय देश में मौजूद नहीं थे और उन्हें आनन-फानन में वापस लौटना पड़ा।
गुलेन का विरासत और स्वास्थ्य
गुलेन, जो लंबे समय से बीमार चल रहे थे, ने अमेरिका में एक नया जीवन शुरू किया था, जहां उन्होंने अपने विचारों और आंदोलन को बढ़ावा देने का प्रयास किया। उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, और यह उनके समर्थकों के लिए एक बड़ा झटका है। द अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज ने उन्हें बौद्धिक और आध्यात्मिक नेतृत्व वाला एक महान इंसान बताया।
वैश्विक प्रतिक्रिया
फेतुल्लाह गुलेन की मृत्यु ने न केवल तुर्किए, बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया है। उनकी गतिविधियों और तख्तापलट के आरोपों के चलते तुर्किए के राजनीतिक परिदृश्य में उनके योगदान को लेकर विवाद जारी रहेगा। गुलेन की मृत्यु से एक युग का अंत होता है, लेकिन उनकी विचारधारा और आंदोलन का प्रभाव आगे भी जारी रहेगा।