दक्षिण भारत में प्रजनन दर पर चिंता: क्या जल्द ही बुजुर्गों का देश बन जाएगा भारत?

दक्षिण भारत के मुख्यमंत्रियों ने एक बार फिर आबादी के मुद्दे को छेड़कर चर्चा का माहौल बना दिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने लोगों से अधिक बच्चे पैदा करने की अपील की है, जो कि गिरती प्रजनन दर और बुजुर्ग होती आबादी की चिंताओं को उजागर करता है।

शनिवार को नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में प्रजनन दर 1.6 पर आ चुकी है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 से काफी कम है। उन्होंने चेताया कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो आने वाले समय में युवाओं की संख्या में भारी कमी आएगी। वहीं, स्टालिन ने कहा कि यदि आबादी में गिरावट जारी रही, तो इसका असर लोकसभा की सीटों पर भी पड़ेगा।

आंध्र प्रदेश की प्रजनन दर केवल 1.5 तक गिर गई है, और यह चिंता का विषय बन गया है। कई गांवों में केवल बुजुर्ग ही रह गए हैं। हालिया आंकड़े यह दर्शाते हैं कि अगर यही हालात रहे, तो भारत की प्रजनन दर 2050 तक 1.29 और 2100 तक 1.04 तक गिर जाएगी।

इसका परिणाम न केवल कामकाजी आबादी की संख्या में कमी होगी, बल्कि बुजुर्गों की सेहत की चुनौतियाँ भी बढ़ेंगी। यदि भारत की प्रजनन दर में गिरावट जारी रही, तो 2050 तक 20% आबादी बुजुर्ग हो जाएगी।

अब देखना यह है कि क्या दक्षिण भारत की सरकारें इस समस्या का समाधान खोजने में सफल होंगी या हम एक बुजुर्ग देश की ओर बढ़ते रहेंगे।

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