चीन में टाइप-1 डायबिटीज के इलाज में नई उम्मीद: स्टेम सेल तकनीक से मिली सफलता

दुनियाभर में डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, और यह न केवल वृद्ध लोगों को बल्कि युवाओं को भी प्रभावित कर रही है। भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और आगामी 20 वर्षों में इसके और फैलने की संभावना है।

डायबिटीज उस स्थिति को कहते हैं जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता, जिससे ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। यह स्थिति शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करती है और उन्हें धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त कर सकती है।

 डायबिटीज के प्रकार

डायबिटीज मुख्यतः दो प्रकार की होती है: टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-2 आमतौर पर अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण होती है, जबकि टाइप-1 बचपन से होती है, जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता। दोनों प्रकार की डायबिटीज खतरनाक हैं, लेकिन टाइप-1 बचपन में होने के कारण जीवन को बहुत प्रभावित कर सकती है। अभी तक इनका कोई स्थायी इलाज संभव नहीं है, और सामान्यतः इंसुलिन का उपयोग किया जाता है।

 नई तकनीक: स्टेम सेल

हाल ही में, चीन के वैज्ञानिकों ने टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए स्टेम सेल तकनीक का उपयोग करने का दावा किया है। स्टेम सेल में क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने की क्षमता होती है, और ये किसी भी अन्य कोशिकाओं में विकसित हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के जरिए टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों को ठीक करने का सफल प्रयास किया है।

चीन के एक समाचार आउटलेट, द पेपर के अनुसार, एक 25 वर्षीय महिला जो पिछले 20 वर्षों से टाइप-1 डायबिटीज से ग्रसित थी, नई सर्जरी के लगभग ढाई महीने बाद अपने शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सफल रही। वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से इस मरीज को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया है।

 सर्जरी की प्रक्रिया

इस तकनीक में मरीज के शरीर से सेल्स निकाली जाती हैं, जिन्हें लैब में बदलकर फिर से मरीज के शरीर में डाला जाता है। ये सेल्स इंसुलिन के उत्पादन को फिर से सक्रिय करती हैं, जिससे टाइप-1 डायबिटीज का इलाज संभव हो पाता है। इस सर्जरी में डॉक्टरों को केवल आधे घंटे का समय लगा।

 वैज्ञानिकों की उम्मीद

इस सफलता के बाद, वैज्ञानिक इस तकनीक को लेकर आश्वस्त हैं और भविष्य में इसके जरिए टाइप-1 डायबिटीज के इलाज में और भी अधिक उम्मीदें जता रहे हैं। यदि यह तकनीक सफल रहती है, तो यह डायबिटीज के खिलाफ एक बड़ी उपलब्धि होगी और टाइप-2 डायबिटीज के इलाज की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

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