दिल्ली के सदर बाजार स्थित शाही ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी है। कोर्ट ने इस मामले पर कड़े शब्दों में पूछा कि रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति से नमाज पढ़ने में क्या दिक्कत हो सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि रानी लक्ष्मीबाई कोई धार्मिक शख्सियत नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्रतीक हैं, और 1857 की लड़ाई को भूलना संभव नहीं है।
इस मामले में शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी का माफीनामा दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। कमेटी ने कोर्ट को बताया कि वे इस मुद्दे पर संशोधित अर्जी दाखिल कर रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पहले ही माना था कि मूर्ति लगाने के लिए स्थान दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का है। इस आदेश को चुनौती देते हुए ईदगाह प्रबंधन कमेटी ने सिंगल जज के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की थीं, जिस पर डिवीजन बेंच ने आपत्ति जताई और कमेटी को माफीनामा दाखिल करने को कहा।
27 सितंबर को भी हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह समिति को फटकार लगाते हुए कहा था कि रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं, और सांप्रदायिक राजनीति के लिए इतिहास को बांटना गलत है।
कोर्ट में चल रही सुनवाई के कारण सदर बाजार के ईदगाह पार्क में मूर्ति लगाने का कार्य फिलहाल रोक दिया गया है, और दिल्ली नगर निगम के निर्देश पर सुरक्षा तैनात की गई है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली लोक निर्माण विभाग ने 2016-17 में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को शिफ्ट करने की योजना बनाई थी, जिसके लिए DDA ने स्थान आवंटित किया था, लेकिन ईदगाह समिति ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।