हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर विवाद

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल एप्लिकेशन को शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। इस निर्णय के खिलाफ अंशुल छत्रपति, जो पत्रकार राम चंद्र छत्रपति के बेटे हैं, ने मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि राम रहीम, जो गंभीर अपराधों का दोषी है, जेल से बाहर आकर मतदान को प्रभावित कर सकता है, इसलिए उसकी पैरोल एप्लिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए।

चुनाव आयोग ने राम रहीम की पैरोल के साथ कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनमें हरियाणा में उसकी उपस्थिति पर रोक और सोशल मीडिया व चुनाव प्रचार में भाग लेने पर पाबंदी शामिल है। अंशुल ने पत्र में उल्लेख किया कि राम रहीम पिछले दो दशकों से अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों में राम रहीम को दस बार पैरोल या फरलो मिली है, जिससे वह कुल 255 दिन जेल से बाहर रहा है। इनमें से छह बार उसे चुनावों के पहले यह छूट मिली है।

इस बीच, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है, जिसमें चुनाव से पहले बार-बार दी जा रही पैरोल पर सवाल उठाए गए हैं। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि राम रहीम के मामले में निष्पक्ष और बिना पक्षपात के निर्णय लिया जाए।

गौरतलब है कि राम रहीम को 2002 में पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके अलावा, वह साध्वियों के साथ दुष्कर्म के आरोप में भी सजा काट रहा है। राम रहीम के खिलाफ नपुंसक बनाने और पंजाब में बेअदबी के मामले भी अभी कोर्ट में लंबित हैं।

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