तिरुपति बालाजी प्रसाद में जानवरों की चर्बी की मिलावट के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सख्त टिप्पणी की, कहा कि “प्रसाद तब होता है जब भगवान को चढ़ाया जाता है” और भगवान को विवाद से दूर रखने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी समेत अन्य ने मांग की है कि इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाए। स्वामी के वकील ने कहा, “अगर भगवान के प्रसाद पर सवाल है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
आंध्र प्रदेश सरकार के वकील मुकुल रोहतगी ने आरोप लगाया कि यह मामला राजनीतिक है, और याचिकाकर्ता ने सीधे तौर पर राज्य सरकार को निशाना बनाया है। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और उन्होंने जांच के लिए एक सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति गठित करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि जब जांच के आदेश दिए गए थे, तो प्रेस में बयान देने की क्या आवश्यकता थी। जस्टिस गवई ने कहा कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना आवश्यक है। उन्होंने यह भी पूछा कि किस घी का उपयोग लड्डू बनाने में किया गया और इसकी पुष्टि कैसे हुई।
इस बीच, अदालत ने आंध्र प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए मामले की जांच करे। मामले की अगली सुनवाई में सरकार को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।