तिरुपति लड्डू विवाद के बाद मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से मुक्ति की मांग तेज हो गई है। विश्व हिंदू परिषद के बाद, अब शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। बुधवार को मथुरा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने प्रसाद में मिलावट की घटनाओं की निंदा की और मंदिरों के संचालन के लिए एक अलग बोर्ड बनाने की मांग की।
शंकराचार्य ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मंदिरों का प्रशासन सरकारों के हाथों में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि धार्मिक जानकारों को शामिल करते हुए एक अलग बोर्ड बनाया जाए, जिसका कार्यकारी अध्यक्ष मंदिर चलाने वाले संप्रदाय का व्यक्ति हो।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान तिरुपति के प्रसाद में घटिया सामग्री और जानवरों के फैट का इस्तेमाल किया गया।
शंकराचार्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ भी की, जिन्होंने ढाबा मालिकों को अपने नाम का बोर्ड लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इससे ग्राहकों को स्पष्टता मिलेगी और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर कड़ी कार्रवाई से घटिया प्रसाद की संभावनाएं कम हो गई हैं।