आज लखनऊ के शहीद स्मारक पर सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और अधिकारियों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर एक जन आक्रोश मार्च निकाला। इस मार्च में भाग लेते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
कर्मचारियों की चिंताएं
जन आक्रोश मार्च में शामिल हुए कर्मचारियों का कहना है कि देश के लगभग एक करोड़ सक्षम कर्मचारी और अधिकारी नई पेंशन योजना (NPS) के अंतर्गत आते हैं, जो न केवल कर्मचारियों के हित में है, बल्कि देश और प्रदेश के हित में भी नहीं है। NPS के तहत सेवानिवृत्त शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों को 800, 1200, 1500 और 2800 रुपए पेंशन के रूप में मिल रही है, जो उनके खुद के खर्च और उनके परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अपर्याप्त है।
पुरानी पेंशन की मांग
कर्मचारियों ने जोर देकर कहा कि जो शिक्षक और अधिकारी अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय 25 से 30 वर्षों तक विभागों और देश की सेवाओं में योगदान देते हैं, उन्हें अपने बुढ़ापे के लिए चिंतित और परेशान होना न्यायोचित नहीं है। यह मानवता के दृष्टिकोण से भी गलत है।
केंद्र सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने हाल ही में इस बात को स्वीकार किया है कि NPS व्यवस्था न्यायपूर्ण नहीं है। इसके जवाब में यूपी सरकार ने एक नई पेंशन व्यवस्था (UPS) पेश की है, लेकिन कर्मचारियों का मानना है कि UPS, NPS से भी ज्यादा नकारात्मक है।
सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता
कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था वास्तव में शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का आधार स्तंभ है। इसी वजह से देश भर के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं।
ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया
मार्च के बाद, कर्मचारियों ने शहीद स्मारक पर एक ज्ञापन तैयार किया, जिसमें पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की मांग की गई। कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे और अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।
इस जन आक्रोश मार्च ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी कर्मचारी और शिक्षक अपने भविष्य के लिए गंभीरता से चिंतित हैं और किसी भी स्थिति में अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।