फर्रुखाबाद में गंगा और रामगंगा का जलस्तर विकराल रूप धारण कर चुका है, जिससे अमृतपुर क्षेत्र में दुश्वारियां बढ़ गई हैं। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि लगभग सौ गांव प्रभावित हो चुके हैं। चित्रकूट डिप पर बहाव तेज होने के कारण आवागमन भी ठप हो गया है, लेकिन रोक के बावजूद लोग जोखिम लेकर यात्रा कर रहे हैं।
स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। राहत सामग्री केवल कागजों पर ही वितरित की जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि एक महीने पहले जो राहत सामग्री दी गई थी, उसके बाद जलस्तर में वृद्धि हुई है। अब लोगों के लिए अपने घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। एक ग्रामीण ने बताया कि जब उन्होंने जिला अधिकारी से नाव की मांग की, तो जवाब मिला कि “नाव शौच के लिए होती है, आवागमन के लिए नहीं।”
आज गंगा का जलस्तर 137.25 मीटर पर पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 137.10 मीटर से 15 सेंटीमीटर ऊपर है। नरौरा बांध से 1,42,517 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिसके चलते जमापुर रोड पर छोटे वाहनों को रोका जा रहा है। चाचूपुर-कड़हर मार्ग पर आठ स्थानों पर बाढ़ का पानी तेज बहने लगा है।
अर्जुनपुर के पास पिछले साल कटी पुलिया की स्थिति खराब है, जिससे निविया-भरखा मार्ग भुसेरा के पास बंद हो गया है। हरसिंहपुर गलावार चौरामार्ग पर गांव शरीफपुर के पास चार फीट पानी भर जाने से आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। राजेपुर डिप पर भी दो फीट पानी जमा हो गया है।
रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान 137.10 मीटर से 30 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है, जो अब 137.40 मीटर पर बह रहा है। अमैयापुर की पुलिया पर करीब दो फीट पानी होने से हीरानगर, गुडे़रा, भावन, गुड़रिया, चपरा, खाखिन, गैहलार, अमैयापुर पूर्वी, नीचेवाला चपरा, और अमैयापुर पश्चिमी जैसे गांवों का संपर्क कट गया है।
इस आपदा के कारण किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। धान, बाजरा, तिल, उड़द आदि की फसलें बाढ़ में बह गई हैं। स्थानीय लोगों की पीड़ा और प्रशासन की उदासीनता इस संकट को और बढ़ा रही है, और अब सवाल यह है कि क्या कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या लोग इसी तरह से अपनी दुर्दशा को सहते रहेंगे?