इटावा से लखनऊ पहुंचे एंबुलेंस चालकों और कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आवास का घेराव किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाया और उन्हें इको गार्डन ले जाया गया, जहां कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की।
एंबुलेंस चालकों ने आरोप लगाया कि उन्हें कोरोना महामारी के दौरान नौकरी दी गई, जबकि कई कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सेवा की। अब उन्हें नौकरी से निकालने का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की जीवनदायिनी 108-102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदर्शन किया गया, जिसमें निजी कंपनी एमरी ग्रीन हेल्थ सर्विस के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए गए।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी कर्मचारियों का शारीरिक और मानसिक शोषण कर रही है। कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश में लगभग 20,000 एंबुलेंस कर्मचारी इस कंपनी के तहत कार्यरत हैं। मेन्टेन्स का खर्च भी कर्मचारियों के वेतन से काटा जा रहा है, और जो विरोध करते हैं, उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है। कई एंबुलेंस चालकों पर फर्जी केस दर्ज करने के आरोप भी लगाए गए हैं।
कर्मचारियों ने यह भी बताया कि कंपनी भारती के नाम पर 25,000 से 45,000 रुपये की डीडी वसूलती है। पिछले वर्षों में, कंपनी ने विरोध करने वाले लगभग 1,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। 2021 में, विरोध करने वाले 3,000 कर्मचारियों को निकाला गया था, जिससे अब तक कंपनी लगभग 9,000 लोगों को निकाल चुकी है।
नौकरी से निकाले जाने के बाद कर्मचारियों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला है। चालकों ने सरकार से अपनी सेवाओं के लिए सम्मानजनक वेतन और नौकरी की सुरक्षा की मांग की है। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी चिंता का विषय बन चुकी है, और अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर समस्या का समाधान कैसे करती है।