सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, लेकिन कार्यक्षमता पर शर्तें

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। हालांकि, अदालत ने जमानत के साथ कुछ शर्तें भी लगाईं हैं। जमानत मिलने के बाद केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आए और अपनी पत्नी सुनीता के साथ कनॉट प्लेस स्थित प्रसिद्ध हनुमान मंदिर गए, जहां उन्होंने दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आप सांसद संजय सिंह भी उनके साथ थे।

जमानत के बावजूद, मुख्यमंत्री केजरीवाल की कार्यक्षमता पर रोक

भले ही सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी घोटाले में जमानत दे दी है, लेकिन उन्हें फिलहाल मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य करने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने उन्हें ऐसी शर्तों के साथ जमानत दी है कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे और किसी सरकारी फाइल पर दस्तखत नहीं करेंगे, सिवाय उन फाइलों के जिन्हें उपराज्यपाल को भेजना है। इससे कैबिनेट बैठकों और उसके विस्तार के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जा सकेगी।

आम आदमी पार्टी की लीगल टीम का कहना है कि अदालत ने केजरीवाल के कामकाज पर गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं, खासकर जब दिल्ली कैबिनेट में पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद के इस्तीफे के बाद एक पद खाली है। कैबिनेट की बैठकों के नोट्स और अन्य महत्वपूर्ण फाइलें भी प्रभावित होंगी। आप इस स्थिति पर स्पष्टीकरण के लिए अदालत का रुख करने पर विचार कर रही है। मनीष सिसोदिया ने भी कहा है कि अगर अदालत में इन शर्तों को चुनौती दी जाती है तो ये टिक नहीं पाएंगी।

सीएम ने जेल में 156 दिन बिताए

अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी द्वारा सिविल लाइंस स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था। दस दिन की पूछताछ के बाद, उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 26 जून को, सीबीआई ने भी इसी मामले में जेल में ही उनसे पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को उन्हें 21 दिन की अंतरिम जमानत दी, जिसका उद्देश्य लोकसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी के प्रचार के लिए था। केजरीवाल ने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया। यदि ईडी की गिरफ्तारी के बाद सीधे 13 सितंबर को उनकी रिहाई होती, तो वे 177 दिन जेल में बिताते, लेकिन 21 दिन की अंतरिम जमानत के कारण उनकी जेल की अवधि 156 दिन रही।

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