ड्रोन के बढ़ते खतरे के बीच, भारतीय सेना की इंफैंट्री यूनिट को हाल ही में स्वदेशी निर्मित एंटी-ड्रोन गन प्राप्त हुई है, और जल्द ही और भी अधिक रेंज वाली एंटी-ड्रोन गन सेना को उपलब्ध कराई जाएगी। यह गन एक स्वदेशी स्टार्टअप द्वारा बनाई गई है और पिछले चार महीनों में सेना की एक यूनिट को सप्लाई की गई है। इसके अतिरिक्त, कुछ प्रमुख एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार किए गए हैं, जिनके लिए सेना और वायुसेना के साथ अनुबंध साइन किए गए हैं, और डिलीवरी नवंबर में शुरू हो जाएगी।
एंटी-ड्रोन गन और डिटेक्टर की जोड़ी
आजकल विश्वभर में ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम पर चर्चा हो रही है, चाहे वह रूस-यूक्रेन संघर्ष हो या इस्राइल-हिजबुल्ला की झड़पें। ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, दुनिया की सेनाएं इनसे निपटने के लिए सतर्क हैं। भारत में भी एंटी-ड्रोन सिस्टम पर लगातार काम हो रहा है और कई स्टार्टअप इस दिशा में सक्रिय हैं। बिग बैंग बूम सॉल्यूशंस ने सेना को एंटी-ड्रोन गन की आपूर्ति की है। स्टार्टअप के वाइस प्रेजिडेंट गौरव शर्मा ने बताया कि यह एंटी-ड्रोन गन और डिटेक्टर की एक संयोजना है। डिटेक्टर 360 डिग्री में चार किलोमीटर की सीमा में किसी भी ड्रोन का पता लगा सकता है और इसे टैबलेट से जोड़ा जाता है। यदि डिटेक्टर के दायरे में कोई ड्रोन आता है, तो अलार्म बज उठता है।
कैसे काम करता है?
डिटेक्टर एक पैसिव सिस्टम है, जिसका स्थान पहचानना कठिन होता है, जिससे इसे निरंतर चालू रखा जा सकता है। डिटेक्टर के जरिए ड्रोन की दिशा का पता चलते ही, एंटी-ड्रोन गन को उस दिशा में तैनात किया जाता है और बटन दबाया जाता है। गन से निकलने वाली 45 डिग्री की बीम ड्रोन को घेर लेती है, जिससे ड्रोन ब्लाइंड हो जाता है और उसका सिग्नल जाम हो जाता है। गन में विभिन्न प्रकार के ड्रोन को काउंटर करने के लिए अलग-अलग फ्रिक्वेंसी होती हैं। यह गन बैटरी से चलती है, जिसे मोबाइल की तरह चार्ज किया जा सकता है और पूरी चार्ज बैटरी 8 घंटे तक काम करती है। यदि सीधे पावर पॉइंट से जोड़ा जाए, तो इसे निरंतर भी उपयोग किया जा सकता है। गन पर साइट भी लगाई जा सकती है।
यह गन पैदल सैनिकों के उपयोग के लिए डिजाइन की गई है, ताकि इसे फॉरवर्ड पोस्ट तक आसानी से ले जाया जा सके। कई सेना की पोस्ट 15,000 से 18,000 फीट ऊंचाई पर स्थित हैं। गन का वजन 4 किलो और डिटेक्टर का वजन लगभग 9 किलो है। गन की रेंज 2 किलोमीटर है।
प्रोटोटाइप बनाने के लिए मंत्रालय की मदद
भारतीय रक्षा मंत्रालय iDEX प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप्स को प्रोटोटाइप बनाने के लिए फंड प्रदान करता है, ताकि सेना, नेवी और एयरफोर्स की जरूरतें पूरी की जा सकें। यदि स्टार्टअप ने सेनाओं की आवश्यकताओं के अनुसार कोई डिवेलपमेंट किया है, तो मंत्रालय प्रोटोटाइप के लिए सहायता करता है, और बाद में उस प्रॉडक्ट को सेना के लिए अधिग्रहित किया जाता है। वर्तमान में, ड्रोन के खतरे को देखते हुए, एंटी-ड्रोन सिस्टम पर लगातार काम हो रहा है और सेना ने बॉर्डर क्षेत्रों में इन सिस्टमों को बढ़ाया है।