डिबेट से पहले वर्चुअल टॉस में ट्रंप की जीत, कमला हैरिस ने बहस में कड़े हमले किए

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रेसिडेंशियल डिबेट से पहले हुए वर्चुअल कॉइन टॉस में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराया। हालांकि, डिबेट के दौरान हैरिस ने ट्रंप के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया। 90 मिनट की इस बहस में दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिसमें हैरिस ने ट्रंप पर क्रिमिनल केस और कैपिटल हिल की घटना जैसे मुद्दों पर कड़े हमले किए। हैरिस की रणनीति ट्रंप को उकसाने की थी, लेकिन उनकी बहस का तरीका पिछली बहसों से अलग था।

डिबेट में प्रमुख मुद्दे:
1. आर्थिक मुद्दे: ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन पर अर्थव्यवस्था को खराब करने का आरोप लगाया, जबकि हैरिस ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों की आलोचना की। ट्रंप ने हैरिस के मार्क्सवादी पिता पर निजी हमले किए, जबकि हैरिस ने ट्रंप को अमेरिका को पीछे धकेलने वाला बताया।

2. अंतरराष्ट्रीय मुद्दे: ट्रंप ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की निकासी, रूस-यूक्रेन संघर्ष, और गाजा की स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने दावा किया कि वे जेलेंस्की और पुतिन को अच्छी तरह से जानते हैं और चुनाव जीतने पर युद्ध को समाप्त करेंगे। हैरिस ने पलटवार करते हुए कहा कि यदि ट्रंप राष्ट्रपति होते, तो पुतिन कीव में होते और यूरोप पर उनकी नजर होती।

3. इजरायल और गाजा: हैरिस ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, लेकिन सीजफायर और टू नेशन सॉल्यूशन की बात की। ट्रंप ने हैरिस पर इजरायल से नफरत करने का आरोप लगाया।

4. चीन और अन्य मुद्दे: डिबेट में चीन का भी जिक्र हुआ। हैरिस ने कहा कि दुनियाभर के नेता ट्रंप का मजाक उड़ाते हैं, जबकि ट्रंप ने हंगरी के विक्टर ऑर्बन का समर्थन किया। हैरिस ने ट्रंप को तानाशाहों का समर्थक बताया और किम जोंग उन के साथ उनके रिश्ते का जिक्र किया।

जनता की राय: सीएनएन के पोस्ट-डिबेट पोल में 63 फीसदी लोगों ने कमला हैरिस के जवाबों को ट्रंप के मुकाबले बेहतर बताया, जबकि 37 फीसदी ने ट्रंप के तर्कों को सही मानते हुए उनकी ओर समर्थन किया।

डिबेट में भारत का कोई जिक्र नहीं

हैरिस और ट्रंप की इस डिबेट में भारत का कोई उल्लेख नहीं हुआ, नकारात्मक या सकारात्मक दोनों ही दृष्टिकोण से। भारत के लिए यह एक राहत की बात हो सकती है। हालांकि, चिप इंडस्ट्री और अन्य मुद्दों पर चीन का उल्लेख होने से यह स्पष्ट है कि अमेरिकी राजनीति और समाज में चीन को एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जाएगा। इससे यह भी संकेत मिलता है कि अमेरिकी विदेश नीति में भारत की प्राथमिकता बनी रहेगी।

एक चौंकाने वाली बात यह थी कि जहां पुतिन ने राष्ट्रपति पद के लिए हैरिस का समर्थन किया था, वहीं डिबेट के दौरान हैरिस ने पुतिन पर कड़ी आलोचना की।

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