राहुल गांधी ने अमेरिका में तीन दिनों की यात्रा के दौरान एक बड़ा बयान दिया है। विपक्षी नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव की निष्पक्षता पर सीधे सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि चुनावों से पहले हम लगातार इस बात पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है। हमारे पास निष्पक्ष खेल का मैदान नहीं था, और उनके पास विशाल वित्तीय संसाधन थे। हमारे बैंक खाते बंद कर दिए गए थे, और चुनाव आयोग ने वही किया जो वे चाहते थे। राहुल गांधी ने कहा कि ये सभी समस्याएं अचानक एक साथ उभर आईं और उन्हें नहीं लगता कि भाजपा निष्पक्ष चुनाव में 246 सीटें जीतने की स्थिति में थी।
राहुल ने कहा कि मैं इसे स्वतंत्र चुनाव नहीं मानता, बल्कि इसे एक नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि पूरा अभियान इस तरह से तैयार किया गया था कि नरेंद्र मोदी पूरे देश में अपनी बात प्रभावी ढंग से रख सकें। जिन राज्यों में भाजपा कमजोर थी, वहां चुनावी रणनीति अलग ढंग से बनाई गई, जबकि मजबूत राज्यों के लिए एक अलग योजना बनाई गई। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा प्रणाली पर आरएसएस का कब्जा है।
राहुल गांधी ने कहा कि मीडिया और जांच एजेंसियों पर पूरा नियंत्रण है। उन्होंने उल्लेख किया कि हम पहले भी इस पर बार-बार कहते रहे लेकिन लोगों को समझ में नहीं आया। जब मैंने संविधान को सामने रखा और जो कुछ भी कहा, वह अचानक ही सामने आ गया। गरीब भारत और उत्पीड़ित भारत ने समझ लिया कि अगर संविधान खत्म हो गया तो पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मोदी को अपने प्रचार अभियान के आधे समय तक यह अहसास नहीं हुआ कि वे 300-400 सीटों के करीब पहुंच सकते हैं। जब उन्होंने कहा कि वे सीधे भगवान से बात करते हैं, तो हमें समझ में आ गया कि हमने उन्हें पूरी तरह से पराजित कर दिया है। हमें यह मनोवैज्ञानिक पतन के रूप में दिखा। नरेंद्र मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन टूट चुका है, और सरकार तथा कुछ बड़े व्यवसायों के बीच एक विशाल सांठगांठ है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ओबीसी और दलितों को धोखा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गरीब लोगों ने यह गहराई से समझ लिया है कि यह एक संघर्ष है उन लोगों के बीच जो संविधान की रक्षा कर रहे हैं और जो इसे नष्ट करना चाहते हैं। जाति जनगणना का मुद्दा भी महत्वपूर्ण हो गया है।