भारत में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है, जो एक युवा के रूप में सामने आया है जो हाल ही में संक्रमण प्रभावित अफ्रीकी देश से लौटे थे। लक्षण दिखने के बाद उन्हें आइसोलेशन में रखा गया है और उनके सैम्पल की जांच की जा रही है। अफ्रीका के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले रिपोर्ट किए गए हैं, लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि मंकीपॉक्स का नाम बंदरों से जुड़ा हुआ है, जबकि वायरस का फैलाव बंदरों से सीधे तौर पर जुड़ा होना आवश्यक नहीं है।
इस संदर्भ में सवाल उठता है कि मंकीपॉक्स का नाम बंदरों के नाम पर क्यों पड़ा, जबकि इसका फैलाव बंदरों से होना 100 प्रतिशत अनिवार्य नहीं है।
अमेरिकन हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसे Mpox नाम दिया गया। हालांकि, आम बोलचाल में अभी भी इसे मंकीपॉक्स के नाम से ही जाना जाता है।
Mpox एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैल सकती है। इसका पहला मामला 1958 में सामने आया था, जब बंदरों में इसका वायरस पाया गया था। इसी कारण से इस बीमारी का नाम मंकीपॉक्स पड़ा, हालांकि यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीकी रोडेंट्स (चूहे और गिलहरी जैसे जीव) और नॉन-ह्यूमन प्राइमेट्स (जैसे बंदर) इस वायरस के प्राकृतिक निवास स्थान हो सकते हैं और इन्हीं से इंसानों में संक्रमण फैलता है। इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था, जब मरीज डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो का निवासी था।
साल 2022 में एमपॉक्स विश्वभर में फैल गया। इससे पहले, एमपॉक्स के मामले बहुत ही कम थे और आमतौर पर यात्रा या उन क्षेत्रों से आयातित जानवरों से जुड़े होते थे, जहां यह बीमारी सामान्य थी।
वायरस कैसे फैलता है?
सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंकीपॉक्स का वायरस संक्रमित व्यक्ति की लार, पसीने और उसकी संक्रमित वस्तुओं के माध्यम से स्वस्थ लोगों में फैल सकता है। यह संक्रमित गर्भवती महिला से उसके बच्चे में भी पहुंच सकता है। संक्रमित कपड़े या सतहों को छूने से भी यह वायरस फैल सकता है।
संक्रमित व्यक्ति में लक्षण विकसित होने में 1 से 4 दिन लग सकते हैं, जिनमें बुखार, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, दाने, और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई, निगलने में परेशानी, और आंखों में सूजन भी देखी जा सकती है।
अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें बिना लक्षण वाले व्यक्ति से वायरस फैलने की बात हो। यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है, और अफ्रीकी देशों में इसके कई मामले देखे जा चुके हैं।