69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2018 में आयोजित 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी और परिणाम 21 मई 2020 को जारी किया गया था। इस परीक्षा के परिणामस्वरूप 31 मई 2020 को 67867 अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी की गई। इस सूची में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने पाया कि उन्हें मानक के अनुरूप आरक्षण नहीं मिला था।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्याएँ उठाईं, लेकिन समाधान नहीं हुआ। इसके बाद, इन अभ्यर्थियों ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में याचिकाएँ दाखिल कीं। एक वर्ष की सुनवाई के बाद, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 19 अप्रैल 2021 को रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि 69000 शिक्षक भर्ती में पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को उचित आरक्षण नहीं मिला।

बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आयोग की रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया। इसके फलस्वरूप, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने 22 जून 2021 से आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया।

6 सितंबर 2021 को, हजारों अभ्यर्थी और उनके अभिभावक लखनऊ के इको गार्डन में एकत्र होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक अपनी मांग पहुँचाने के लिए धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद, 7 सितंबर 2021 को मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री मुकुल सिंघल की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया।

तीन महीने की गहन जांच के बाद, जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट माननीय मुख्यमंत्री को सौंप दी। रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मानक के अनुसार आरक्षण नहीं मिला था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 दिसंबर 2021 को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि शीघ्र ही आरक्षण से वंचित अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जाए।

हालांकि, 24 दिसंबर 2021 को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से आदेश जारी होने के बावजूद, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। 5 जनवरी 2022 को 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की एक सूची जारी की गई, लेकिन आचार संहिता लागू हो जाने के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। इसके अलावा, कुछ अभ्यर्थियों ने जारी की गई सूची पर रोक लगा दी।

एक वर्ष से अधिक समय तक उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चली। सरकारी अधिवक्ता और विभागीय अधिकारियों की कमजोर पैरवी के कारण, माननीय उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2023 को 6800 चयन सूची को रद्द कर दिया। इसके बाद, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने मानसिक रूप से परेशान होकर हाई कोर्ट डबल बेंच में याचिका दायर की। लंबी सुनवाई के बाद, डबल बेंच ने 23 अगस्त 2024 को अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार को निर्देश दिया कि पूरी सूची को फिर से नई बनाई जाए और आरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

अब, अभ्यर्थी सरकार से लगातार मांग कर रहे हैं कि डबल बेंच के फैसले का पालन करते हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्याय प्रदान किया जाए।
अभ्यर्थियों ने कल यानी 2 सितंबर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर धरना दिया, वहीं आज अभ्यर्थियों ने मंत्री आशीष पटेल के आवास पर धरना दिया लेकिन वन से इन्हे ईको गार्डन भेज दिया गया।

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