जनपद बहराइच के जिला पंचायत सभागार में 1 सितंबर दिन रविवार को विश्व हिंदू परिषद विधि प्रकोष्ठ बहराइच के संयोजन में विश्व हिंदू परिषद बहराइच द्वारा षष्ठी पूर्ति वर्ष/ 60 स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रान्त सह संयोजक बजरंग दल अवध प्रांत महेंद्र रहे। इस अवसर पर मंच पर प्रान्त सह संयोजक के साथ संत विष्णुदेवाचार्य, विभाग अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार दूबे, प्रान्त सह समरसता प्रमुख राज कुमार सोनी, जिला अध्यक्ष तरुण सिंह आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मंच संचालन गो रक्षा प्रमुख शशि भूषण त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि महेंद्र सहसंयोजक बजरंग दल अवध प्रांत के उद्बोधन के साथ हुई। उसके बाद महामंडलेश्वर नगरौरा पीठ विष्णु देवाचार्य ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने विश्व हिन्दू परिषद् की कार्यशैली, संगठन के उद्देश्य, लक्ष्य, अब तक की उपलब्धि, तथा जिले में संगठन की सक्रियता पर विशेष चर्चा किया। वक्ताओं ने धर्म के प्रति हिन्दू समाज की बढ़ रही शिथिलता पर चिंतन व्यक्त करते हुए उपस्थित कार्यकर्ताओं को इस विषय पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रेरित किया।
वक्ता ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा ” एक बार शिवशंकर आप्टे जो हिंदुस्तान पत्र के संपादक थे, और समाचार संग्रह के लिए विदेश प्रवास पर जाते रहते थे। उन्होंने विदेशो में देखा चाहे वो यूरोपीयन या जितने भी देश हो सब जगह जो एग्रीमेंट करके भारतीय मजदूर विदेश में जाते थे। वहाँ उनके साथ बहुत अत्याचार होता था, उनको कोड़ो से पीटा जाता था,धर्म के नाम पर उनके साथ अत्याचार किया जाता था। यह दृश्य देखकर उनको बहुत दुःख हुआ उस समय मोबाईल नही था, फिर भी ऐसी बातों का संग्रहण करके हिंदुस्तान आये और श्रीगुरु जी के माध्यम से आपस मे चर्चा किये। उसी समय मुंबई के प्रबंध शाखालय में चिन्मयानंद आश्रम चिन्मय मिशन के संस्थापक चिन्मयानंद सरस्वती जी महाराज को पूरी घटना की जानकारी दी। और तब से ये संघर्ष चला आ रहा है।
अन्य वक्ता ने कहा आप सभी लोगो को जो राम जन्मभूमि के लिए ताने सुनते थे, कि राम लला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे पर तारीख नही बताएँगे। इसका डंस कितना झेला लेकिन आज देख रहे है कि तारीख भी बताया मंदिर भी बन गया और वो सब उफ्फ तक नही कर रहे है। लेकिन राम मंदिर ही हमारा उद्देश्य नही है। सम्पूर्ण देश मे जो हमारे सनातन का डंका बजता था उस समय न ही चीन था न ही इजरायल था और न ही अमेरिकी थे। सम्पूर्ण विश्व मे सिर्फ एक देश था अपना भारत और उसकी राजधानी अयोध्या थी रामायण में भी इन बातों को कही गयी है। सातो दिन हमारे कब्जे में था फिर ऐसा क्या हुआ और हम कहाँ आ गए इसका एक ही मतलब है हम सबको बहकाया गया। हमें अलग किया गया, हमको अंग्रेजो के टैंकर से हम लोगो का जीना हराम किया गय। हमारे परिवार को तोड़ा गया। हमको बहकाया गया कि हमारे बच्चे अगर अंग्रेज़ी न बोले तो उनको कुछ नही आता, अगर जन्मदिन पर केक नही काटा तो हम गरीब है। ऐसी पश्चात संस्कृति हमारे देश मे भर दी गयी कि हम सब उसी में उलझ गए। भगवान राम जब अयोध्या छोड़कर बन जा रहे थे तो राजा दशरथ नही चाहते थे कि राम बन को जाए। लेकिन कुल की मर्यादा के लिए वो बन गए। वन जाते समय मार्ग में उन्होंने देखा कि नर कंकाल का ढ़ेर लगा हुआ है ,तो राम ने पूछा कि ये क्या है। तब ऋषियो ने बताया के ये हिंदु सनातनियों के कंकाल है जो रावण के द्वारा मारे गए है, जिसे हिंदू देखकर डर जाए और सनातनियों का जो काम है वो न कर सके। तब राम ने कसम खायी की वो हिन्दू सनातनियों का डर मिटाएंगे उसके अलावा वो सभी के भय को दूर करेंगे। और उन्होंने जाति के बंधन को तोड़ते हुए निषाद को गले लगाया, केवट को गले लगाया, भील को गले लगाया और सबका डर दूर किया और अंत में रावण को मारा। आज लोग ताज को अजूबा कहते है उसको प्रेम की निशानी मानते है, लेकिन हमारे सबके लिए तो रामसेतु ही प्रेम की निशानी है, जिसको नासा ने सिद्ध किया है।
वक्ताओं ने बारी बारी से अपने विचार साझा किये और मूल रूप से सनातन के संरक्षण तथा हिंदुत्व को मजबूती प्रदान करने पर जोर दिया। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रान्त मातृ शक्ति संयोजिका रागिनी श्रीवास्तव, विभाग मातृ शक्ति संयोजिका अरूणलता श्रीवास्तव, जिला कार्याध्यक्ष अजय सिंह, जिला विधि प्रकोष्ठ प्रमुख अजीत सिंह, जिला उपाध्यक्ष रणधीर सिंह, जिला मंत्री बृज किशोर शुक्ल, जिला सह संयोजक बृजेश मिश्र , प्रयागपुर तहसील संयोजक उमाशंकर मिश्रा, तहसील संयोजक रामेंद्र मिश्र, सहसंयोजक अरुण के अतिरिक्त कामेश गुप्ता,अरविंद पांडे, मनोज पांडे, काशीनाथ शुक्ला, अजय सोनी, अजय रस्तोगी, विश्वामित्र बाजपेई, सदाशंकर श्रीवास्तव, सत्यदेव गुप्ता, मगन बिहारी पाठक आदि के साथ साथ प्रांत, विभाग, जिला ,नगर , प्रखंडों के कार्यकर्ताओं सहित भारी संख्या में हिंदू स्वजन उपस्थित रहे।