एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर लगातार 6 दिनों से अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए धरने पर बैठे है। इस प्रदर्शन में करीब 20 हजार से ज्यादा CHO शामिल हैं। यह प्रदर्शन लखनऊ के इको गार्डन में चल रहा है। “सेवा का भाव हमारा, नियमितीकरण अधिकार हमारा” और “स्थानांतरण शुरू करो” के नारे लगाए जा रहे हैं। प्रदर्शन करियों ने कहा अगर ट्रांसफर नहीं होता है तो हम लोग घर भी नही जा पाएंगे और सेंटरों पर कोई व्यवस्था भी नहीं होती है।
प्रदर्शन के चलते 17 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। मरीजों को, जो टेली कंसलटेंसी की सुविधा का प्रयोग करते थे, असुविधा का सामना करना पड़ रहा है और न ही दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही साथ टीकाकरण में भी दिक्कत आ रही है।
संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया की बीते बुधवार को प्रदेश के सभी CHO अपनी जायज मांगों की पूर्ति के लिए मिशन निदेशक से मिलने कार्यालय पहुंचे और CHO यूपी के प्रतिनिधिमंडल से मिशन निदेशक की लंबी वार्ता होने के बावजूद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला, जिससे सभी सीएचओ पुनः हड़ताल के लिए चले गये। महामंत्री ने यह भी बताया की कई लोगों पर एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है जिससे सभी कर्मचारियों में गुस्सा भर गया है।
एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की मांग
एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर उत्तर प्रदेश ने 21 अगस्त 2024 को cho के लिए कुछ मांगे की हैं –
1. स्वास्थ्य विभाग के समस्त कर्मचारियों हेतु AMS (Attendance Management
System) -उक्त प्रणाली स्वास्थ्य विभाग के सभी नियमित, संविदा, आउटसोर्सिंग, अधिकारियों/कर्मचारियों पर लागू हो न कि केवल CHO या संविदाकर्मी पर।
2. नियमितीकरण – भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार CHO का कैडर निर्माण कर 6 वर्ष की सेवा दे चुके सीएचओ को नियमित किया जाए।
3. समान वेतन- अन्य राज्यों की तरह CHO का वेतन उत्तर प्रदेश में भी 25000+15000 किया जाए तथा
पी०बी०आई० को सैलरी में मर्ज किया जाए, जैसे मध्य प्रदेश, हररयाणा, बिहार मेघालय, मणिपुर में NHM के तहत CHO को 4800 ग्रेड पे अनुरूप वेतन का निर्धारण और महंगाई भत्ता प्रदान किया जा रहा है।
4. EL की व्यवस्था- AMS लागू करने वाले कैडर के लिए अन्य सरकारी कर्मियों की तरह वर्ष में 30 EL (Earned Leave) तथा 24 CL (Casual Leave) की व्यवस्था की जाए।
5. स्वेच्छिक स्थानाांतरण- सभी CHO को स्वेच्छिक स्थानांतरण का लाभ दिया जाए ताकि वे अपने गृह जनपद में पूरे मनोयोग से अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए ज्यादा ऊर्जा के साथ कार्य कर सकें।
इस तरह की मांग करना कहाँ तक नाजायज है ? इस पूरे प्रदर्शन को देख कर आपके मन में भी कहीं न कहीं ये प्रश्न जरूर उठ रहा होगा।
लेकिन एक तरफ जहाँ CHO की मांगों को लेकर सरकार व आलाकमान अपनी आँखे मूंद कर बैठे हैं तो वहीँ धरना दे रहे कर्मचारियों के खिलाफ तरह तरह की कार्यवाहियाँ भी शासन द्वारा शुरू कर दी गयी हैं। सिद्धार्थनगर में शासन ने सीएचओ के वापिस कार्य पर ना लौटने पर एक्शन का निर्देश दे दिया। आदेश के बावजूद सब चुप्पी साध के बैठे रहे जिसके बाद जिले के डीएम ने कार्यवाही का निर्देश दे दिया है। इस आदेश से इन कर्मचारियों की नौकरी पर अब खतरा मंडरा रहा है। सीएमओ रजत कुमार चौरसिया ने कहा कि जो सीएचओ आयुष्मान आरोग्य मंदिर बंद करके हड़ताल पर हैं उन सभी पर तत्काल कार्यवाही की जाएगी और शासन ने नोटिस थमाने का भी निर्देश दिया है। नोटिस के बाद भी अगर वे वापिस नही लौट रहे हैं तो सेवा समाप्त करने का आदेश मिला है। वही धरना स्थल की बजाए दूसरी जगह धरना करते समय यातायात में अवरोध होने पर लखनऊ यातायात पुलिस द्वारा सीएचओ पर एफआईआर दर्ज कर दी गई है ।
इतनी बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों के एक साथ धरना देने के चलते बिगड़ी स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को परवाह है। प्रदेश का आलम यह है कि मानसून के चलते तथा अधिकांश हिस्सों के बाढ़ की चपेट में आने के कारण इस समय गांवों और कस्बों में डेंगू मलेरिया के मरीजों की संख्या अपने चरम पर है। लोग उपचार के लिए इधर उधर चक्कर लगा रहे हैं और सरकार द्वारा निःशुल्क चिकित्सा में असुविधा उत्पन्न होने के चलते प्राइवेट चिकित्सालयों में जाने को मजबूर हैं। ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है की इस तरह सरकार कैसे इन स्वास्थ्य कर्मियों को न्याय दे पायेगी। और इनकी हड़ताल के कारण उत्पन्न स्वास्थ्य समस्या से सरकार कैसे निपटेगी।